हर साल कीट और बीमारियां नष्ट कर देते हैं 40 फीसद खाद्य सामग्री

हमारे लिए 80 फीसदी तक भोजन व 98 तक ऑक्सीजन पैदा करते हैं पौधे

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वाराणसी: क्या आप जानते है कि खेत-खलियान, बाग-बगीचे में उड़ने व रेंगने वाले कीट-पतंगे व उनसे होने वाली बीमारियों से देश व दुनिया के कुल उत्पादन का 40 फीसदी खाद सामग्री नष्ट हो जाते हैं. यदि इस नुकसान को कम कर दिया जाय तो लाखों लोगों की भूख मिटाई जा सकती है. किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है और गरीबी कम कर सकते हैं.

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वाराणसी के जक्खिनी भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) द्वारा 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. इसके अंतर्गत नीम वृक्ष पौध रोपण, वैज्ञानिक चर्चा एवं वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र में फसल सुधार विभागाध्क्ष डॉ. अरविन्द नाथ सिंह ने कार्यक्रम की महत्वा एवं रुपरेखा पर विस्तृत प्रकाश डाला. पादप स्वास्थ्य का मनुष्य जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की. डॉ. सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2024 का विषय ‘पौधा स्वास्थ्य, सुरक्षित व्यापार, डिजिटल प्रौद्योगिकी‘ है. जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां पारिस्थितिक तंत्र को बदल रही हैं. जैव विविधता को खतरे में डाल रही हैं. साथ ही कीटों के पनपने के लिए नए स्थान बना रही हैं. ऐसे में पौधों की सुरक्षा के लिए कदम उठाकर हम भूख को रोकने, गरीबी को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने और भावी पीढ़ियों के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं.

पेड़-पैधे पृथ्वी का जीवन, हम आश्रित

कार्यक्रम की अध्य्क्षयता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. तुषार कांति बेहेरा ने बताया कि पेड़-पौधे पृथ्वी का जीवन हैं और हम सभी उन पर आश्रित हैं. हम पेड़-पौधों की वजह से ही सांस लेते हैं और भोजन कर पाते हैं.  पौधे हमारे लिए 80 फीसदी तक भोजन और 98 फीसदी तक ऑक्सीजन पैदा करते हैं. लेकिन आज के दौर में इंसानी बस्ती पौधों के जीवन को नुकसान पहुंचा रही है. कई गंभीर बीमारियां और कीट हर साल 40 फासदी तक खाद्य फसलों को बर्बाद कर देते हैं. जिस कारण वातावरण में कई बदलाव देखे जा रहे हैं. इस बदलाव का असर इंसानों पर भी पड़ रहा है. इस बदलाव को रोकने और पौधों के संरक्षण के लिए हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. यह दिन पौधों के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ व्यापार सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है. दरअसल, यह दिवस भूख को रोकने, गरीबी को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने के लिए खास तौर से पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

खाद उत्पाद नष्ट होने से वैश्विक भूख में होती है बढ़ोतरी

डॉ बेहेरा ने बताया की हर साल 40 प्रतिशत तक खाद्य फसलें पौधों के कीटों और बीमारियों से नष्ट हो जाती हैं, जिसका न केवल कृषि पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि वैश्विक भूख भी बढ़ती है. इसके कारण ग्रामीण आजीविका को खतरा होता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना 220 अरब डॉलर तक का नुकसान होता है. आक्रामक कीड़े (जो बीमारियां फैला सकते हैं) पौधों के स्वास्थ्य और जैव विविधता के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा करते हैं. अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण में पादप स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने  की आवश्यकता है.

2050 तक भूख मिटाने में पादपों की महत्वपूर्ण भूमिका

अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2024 इस वर्ष रविवार 12 मई  को मनाया जा रहा है. यह तारीख मदर्स डे के साथ मेल खाती है, जो माताओं के प्यार, देखभाल और बलिदान को पहचानने का एक कार्यक्रम है. कार्यक्रम में संबोधन करते हुए डॉ. बेहेरा ने जोर दे कर कहा की 2050 तक बढ़ती वैश्विक आबादी लिए आवश्यक कृषि के सतत विकास में स्वस्थ पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. केवल पारिस्थितिक तंत्र को विनियमित करने, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्रदान करने बल्की  जैव विविधता को बढ़ावा देने में पौधों  एवं उनके स्वास्थ्य का अहम् रोल रहेगा.

कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारीगण गण उपस्थित रहे. कार्यक्रम संचालन डॉ. ए.एन त्रिपाठी  व धन्यवाद ज्ञापन पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. के.के पाण्डेय द्वारा किया गया.

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