सुकमा हमले के बाद जवानों के बेहतर प्रशिक्षण पर जोर
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर नक्सलियों द्वारा किए गए घातक हमले के बाद सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने नक्सल प्रभाव वाले इलाकों में तैनात अपने जवानों से नियमित तौर पर ‘जवाबी हमले का प्रशिक्षण’ लेने तथा ‘अनावश्यक आवाजाही’ से बचने का निर्देश दिया है।
एसएसबी की महानिदेशक अर्चना रामासुंदरम ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सीआरपीएफ के 74 बटालियन की टुकड़ी पर हुए हमले के मात्र 11 दिनों बाद पांच मई को निर्देश जारी किया है।एसएसबी की सात इकाइयों (8,000 से अधिक जवान)- झारखंड में दो, छत्तीसगढ़ में दो तथा बिहार में तीन- को चार सूत्री निर्देश जारी किया गया है, जिसमें जवानों को नियमित तौर पर जवाबी हमले का प्रशिक्षण लेने, जवानों से भरे वाहनों की अनावश्यक आवाजाही से बचने, खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने एवं नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम आयोजित करने का जिक्र किया गया है।
निर्देश के मुताबिक, “नक्सली इलाकों में आवाजाही के दौरान एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) के हिसाब से सुरक्षा एहतियात का पालन करना चाहिए। जवानों को नियमित तौर पर जवाबी हमले का प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। किसी भी तरह की अनावश्यक आवाजाही से बचना और प्रशासनिक आवाजाही को नियंत्रित करना चाहिए।”
साथ ही निर्देश में यह भी कहा गया है, “खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना है और नए सूत्र बनाए जाएं तथा खुफिया जानकारियों को साझा करने के लिए अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बनाए रखना होगा।”निर्देश के मुताबिक, “जवानों को सैन्य रणनीति का नियमित प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए, जैसे जवाबी हमले का प्रशिक्षण, घेरेबंदी तथा तलाशी अभियान, छापेमारी, तलाशी व खात्मा अभियान व रोड ओपनिंग पार्टी, ताकि वे किसी भी घटना का पेशेवर तरीके से जवाब देने में सक्षम हो सकें।”
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यह भी कहा गया है कि आवश्यकता तथा स्थानीय लोगों की जरूरत के हिसाब से नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके।निर्देश जारी होने के एक दिन बाद सूत्रों ने कहा कि एसएसबी ने बाजारों से रसद खरीदने के लिए अपने वाहनों की अनावश्यक आवाजाही को बंद कर दिया है।
सूत्र ने कहा, “जवानों की चिकित्सा जांच के लिए वाहनों की आवाजाही भी कम कर दी गई है। जवानों को समूह में छुट्टियां लेने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि यात्रा के दौरान उन्हें सुरक्षा मिल सके।”
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एसएसबी के एक कमांडर ने कहा कि एसएसबी खुशकिस्मत है कि उसे 24 अप्रैल के सुकमा जैसे हमले का सामना नहीं करना पड़ा है, जिसमें बुरकापाल तथा चिंतागुफा गांव के बीच सड़क निर्माण कर्मियों को सुरक्षा प्रदान कर रहे सीआरपीएफ के 99 जवानों की टुकड़ी पर भारी हथियारों के लैस 300 से अधिक नक्सलियों ने भीषण हमला किया।
अधिकारी ने कहा, “हमारे प्रमुख के सुरक्षा समीक्षा निर्देश का मूल मकसद हमारे जवानों के जीवन की रक्षा करना तथा उन्हें और सतर्क करना है।”अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में अक्टूबर 2011 में राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर हुए एक शक्तिशाली आईईडी विस्फोट में तीन जवान शहीद हो गए थे। यह एसएसबी पर सबसे बड़ा हमला था।
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2011 से लेकर 15 अप्रैल, 2017 के दौरान आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश सहित नक्सल प्रभावित राज्यों में 7,781 नक्सली घटनाओं में कुल 3,136 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें नागरिक, सुरक्षाकर्मी तथा पुलिस के मुखबिर शामिल हैं।
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