भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 21 मार्च 1977 का दिन विशेष महत्व रखता है. इसी दिन देश में 21 महीने तक लागू रहा आपातकाल समाप्त हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की थी, जिसे भारतीय राजनीति के सबसे विवादास्पद दौर में से एक माना जाता है.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सबसे ‘काली अवधि’ कहा था.
आखिर क्यों इंदिरा गांधी ने लगाया था आपातकाल?
1. इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय: 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन उनके चुनाव को विपक्षी नेता राजनारायण ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी. 12 जून 1975 को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रायबरेली से इंदिरा गांधी के 1971 के लोकसभा चुनाव को अवैध घोषित किया, उन पर चुनावी अनियमितताओं का दोषी पाया, और उन्हें छह वर्षों तक किसी भी निर्वाचित पद पर रहने से अयोग्य ठहराया. इस फैसले से उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो गई और उनके इस्तीफे की मांग उठने लगी.
2. बढ़ते विरोध और अस्थिरता: इस निर्णय के बाद, विपक्षी दलों और समाज के विभिन्न वर्गों ने इंदिरा गांधी के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू किया. लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में ‘सम्पूर्ण क्रांति’ आंदोलन ने जोर पकड़ा, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता का माहौल बन गया.
3. आंतरिक सुरक्षा का खतरा: सरकार ने दावा किया कि देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है. बढ़ते विरोध प्रदर्शनों, हड़तालों और आंदोलनों के कारण कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही थी, जिसे नियंत्रित करने के लिए आपातकाल को आवश्यक बताया गया.
4. राजनीतिक सत्ता की रक्षा: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इंदिरा गांधी ने अपनी राजनीतिक सत्ता को बनाए रखने के लिए आपातकाल लागू किया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले और बढ़ते विरोध के बीच, उन्होंने अपनी स्थिति को सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठाया.
इन परिस्थितियों में, इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के सहयोग से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल लगाने का निर्णय लिया.
लोकतंत्र पर लगे प्रतिबंध
आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए थे. प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी, विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था, और विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई थी. संजय गांधी के नेतृत्व में जबरन नसबंदी अभियान चलाया गया, जिससे जनता में भारी आक्रोश पनपा.
आपातकाल का अंत और सत्ता परिवर्तन
जनता के बढ़ते विरोध और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को आम चुनाव कराने की घोषणा की. मार्च 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली और जनता पार्टी ने बहुमत हासिल किया. मोरारजी देसाई देश के नए प्रधानमंत्री बने, और 21 मार्च 1977 को आपातकाल आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया गया.
आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सबक था. इस घटना ने सत्ता के दुरुपयोग के खतरे को उजागर किया और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के महत्व को रेखांकित किया. 21 मार्च का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा.
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