गोपाल : इतनी अंधेर तो अंग्रेजों के राज में नहीं हुई जितना केजरीवाल सरकार में…
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को लाभ के पद को लेकर अयोग्य करार दिया है। आयोग ने राष्ट्रपति से उनकी सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है। ऐसे में दिल्ली में आप सरकार पर एक बार फिर संकट गहरा गया है। बीजेपी और कांग्रेस ने नैतिक आधार पर सीएम अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की भी मांग की है।
पूरे मामले में केजरीवाल ने भले ही चुप्पी साधते हुए सबकुछ समय पर छोड़ दिया हो, लेकिन उनके सहयोगी आयोग के इस फैसले को लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका मानते हैं। केजरीवाल सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल राय का कहना है, “एनडीए सरकार दिल्ली की जनता से बदला ले रही है। इतना अंधेरा तो ब्रिटिश शासनकाल में भी नहीं था।”गोपाल राय ने कहा, “सभी बुद्धिजीवी और राजनीतिक लोग हैरान है कि दो दिन बाद रिटायर होने वाले सीईसी (मुख्य चुनाव आयुक्त) एके ज्योति ने आप विधायकों की सदस्यता रद्द करने का फैसला किस दबाव में लिया?”
बिना सुनवाई के आयोग ने दिया फैसला
राय ने कहा, “चुनाव आयोग ने अंतिम बार 23 जून को बुलाया था। उसके बाद आज तक आयोग नहीं बुलाया। सीईसी पर ऐसे आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। वे पीएम मोदी के खास रहे हैं। मीडिया में फैलाया जा रहा है कि चुनाव आयोग के कई बार बुलाने के बाद भी आप के विधायक पेश नहीं हुए। ये सरासर झूठ है।”गोपाल राय ने कहा कि ये ऐतिहासिक मोदी राज है। मोदी राज में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी केस पर बिना सुनवाई के फैसला सुना दिया गया हो।
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सभी बुद्धिजीवी और राजनैतिक लोग हैरान है कि 2 दिन बाद रिटायर होने वाले CEC ज्योति ने आप विधायकों की सदस्यता रद्द करने का फैसला किस दबाव में लिया? -संजय सिंह ने कहा, “इन संसदीय सचिवों ने सरकारी गाड़ी का प्रयोग किया। सरकार के कार्य के लिए सरकारी गाड़ी का प्रयोग लाभ के पद में नहीं आता।” उन्होंने कहा, “अगर मनोज तिवारी को इस्तीफा मांगना ही है, तो पहले पीएम का इस्तीफा मांगे, क्योंकि सबसे पहले गुजरात में उनके समय में ही संसदीय सचिव बनाए गए, जिन्हें उप-मंत्री का दर्जा दिया गया और सारी सुविधाएं दी गईं।
दिल्ली सरकार को रोकना चाहती है कांग्रेस-बीजेपी
कांग्रेस और बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए संजय सिंह ने कहा, “कांग्रेस का इतिहास आपातकाल का रहा है, ये बीजेपी के साथ मिलकर दिल्ली सरकार को रोकना चाहते हैं”। उन्होंने कहा, “जब दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कह दिया था कि ये लोग संसदीय सचिव नहीं हैं, तो फिर अब चुनाव आयोग इन 20 विधायकों को लाभ का पद मामले में अयोग्य कैसे घोषित कर सकता है?”उनके मुताबिक, “जो लोग व्यवस्था के खिलाफ लड़ेंगे, माफिया तंत्र के खिलाफ लड़ेंगे उनके साथ ऐसा होगा, कोई नई बात नहीं है, जीत सच की ही होगी”।
विश्वास ने क्या कहा?
वहीं, कुमार विश्वास ने भी चुनाव आयोग के फैसले पर आपत्ति जाहिर की है। विश्वास ने 20 विधायकों को अयोग्य करार देने के आयोग के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। विश्वास के मुताबिक, उन्होंने पार्टी को इस संबंध में पहले कुछ सुझाव दिए थे, लेकिन साथ उन्हें बताया गया कि यह सीएम का अधिकार है कि किसे नियुक्त करें और किसे नहीं। ऐसे में उन्होंने चुप रहना ही सही समझा।
news18
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