भारत में 12 लाख लोगो की मौत का कारण ‘प्रदूषण’
भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसके अतिरिक्त, जिन 168 शहरों का आकलन किया गया, उनमें कोई भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा। ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने ‘कहीं आपके क्षेत्र में प्रदूषण तो नहीं’, नामक एक अभियान शुरू कर रहा है।
80 मानक से कम रखने में योगदान करें
वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए, आईएमए ‘कहीं आपके क्षेत्र में प्रदूषण तो नहीं’, नामक एक अभियान शुरू कर रहा है। इस अभियान के तहत, एसोसिएशन की सभी राज्य स्तरीय व स्थानीय शाखाओं और चिकित्सा पेशेवरों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे वायुमंडलीय प्रदूषण स्तर को माह में 80 मानक से कम रखने में योगदान करें, जबकि दिवाली जैसे त्यौहारों के समय इसे 90 मानक स्तर तक रखने की कोशिश में सहयोग करें।
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आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “वायु प्रदूषण केवल पर्यावरणीय खतरा ही नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा है। यह हृदय संबंधी रोगों, स्ट्रोक, पुराने अवरोधक फुफ्फुसीय रोग, फेफड़ों के कैंसर और अन्य तीव्र श्वसन समस्याओं जैसे गैर-संचारी रोगों के प्रमुख कारणों में से एक है। वक्त की मांग है कि परिवहन के खराब साधनों, घरेलू ईंधन और अपशिष्ट जलाने, कोयला आधारित बिजली संयंत्रों और औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषण के खिलाफ कठोर दिशा निर्देश लागू कराए जाएं, क्योंकि ये सब वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।”
उन्होंने कहा, “किसी भी समय, पीएम 2.5 का स्तर 80 मानक से कम रहना चाहिए और शोर का स्तर 80 डेसिबल से कम होना चाहिए। हमें उम्मीद है कि सभी चिकित्सकीय पेशेवरों ने अपने रोगियों को वायु प्रदूषण के खतरों के बारे में शिक्षित किया है। इस सब के अलावा, व्यक्तिगत स्तर पर कुछ उपायों का पालन करने की भी आवश्यकता है, क्योंकि हर छोटा योगदान एक बड़ा बदलाव ला सकता है।”
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि साक्ष्यों से पता चलता है कि विकासशील देशों में घरेलू वायु प्रदूषण खतरे की स्थिति में वृद्धि कर सकता है, जैसे जन्म के समय शिशुओं का कम वजन और शिशु जन्म के पहले सप्ताह में मृत्यु दर, अस्थमा, कान में संक्रमण, श्वसन संक्रमण, तपेदिक, नेसोफरीन्जियल कैंसर, लेरिंगेल कैंसर, और ग्रीवा कैंसर।
उन्होंने बताया, “हमारे संविधान में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रावधान है और सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठा रही है, फिर भी देश को अभी भी साफ हवा में सांस लेने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना है। वक्त की जरूरत है कि जनता को भी शामिल करके समर्पित तरीके से प्रयास किए जाएं। आईएमए का वर्तमान अभियान इसी दिशा में एक छोटा सा कदम है।”
वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके :-
* अपने वाहन प्रदूषण की जांच करें
* घर पर पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग करें
* अपने घर के आसपास पौधे लगाएं
* घर के अंदर धूम्रपान से बचें, हालांकि इसकी आदत पूरी तरह से छोड़ना बेहतर होगा
* टिकाऊ और पुन: इस्तेमाल होने योग्य उत्पादों को चुनें और खरीदे
* घर पर ऊर्जा का सही से इस्तेमाल करने वाले उपकरणों का उपयोग करें
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