अब किसानों को खराब फसल की जानकारी देगा ड्रोन
सेंसर और डिजिटल इमेजिंग से ड्रोन का उपयोग खेतों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जा सकेगा। सेंसर से लैस ड्रोन फसलों और उसके आसपास के परिवेश की सटीक जानकारी एकत्र कर सकता है। ड्रोन की मदद से नुकसान की वजह या फिर देर से आने वाली परेशानियों को पकड़ा जा सकेगा। सेंसर में लगे हुए फिल्टर की से खेतों के ऐसे नक्शे बन सकते हैं जो खेतों में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की आवश्यकता तथा पोषक तत्वों के स्तर को दिखा सकते हैं।
किसानों को खेती में अक्सर नुकसान होते आपने सुना होगा। इस वजह से ही किसानों का खेती की ओर से रुझान भी कम हो रहा है। सीमैप ने अब ड्रोन का सहारा लेकर किसानों की जिंदगी बदलने का निश्चय किया है।
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इंदिरानगर के पिकनिक स्पॉट रोड स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) एक ड्रोन परियोजना के जरिए किसानों की खेती में आने वाली समस्याओं के समाधान में जुटा है। ट्रायल स्तर पर इसकी शुरुआत बाराबंकी के मेंथा किसानों से किया गया है। चूंकि मामला उड़ान से जुड़ा है तो इसमें अभी नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की कुछ मंजूरियों का भी इंतजार है, जिसके बाद प्रदेशभर के कई जिलों में किसानों के खेतों में ड्रोन का प्रयोग किया जाएगा। इस योजना में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत हैदराबाद की इनक्यूबेटर कंपनी मेसर्स भारतरोहन एयरबोर्न प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है।
40 किसानों के खेतों पर ट्रायल हुआ शुरू
सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि ड्रोन तकनीक से खेती से जुड़े डेटा को एकत्र किया जा रहा है। इसके विश्लेषण से किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार उपाय सुझा सकेंगे। ट्रायल के तौर पर योजना को लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के 40 किसानों की 400 एकड़ जमीन पर आजमाया जा रहा है।
ऐसे करेगा डेटा एकत्र
सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज सेमवाल बताते हैं कि विशेषज्ञों की देखरेख में यहां मेंथा की खेती करवाई जा रही है। खेतों पर ड्रोन से नजर रखकर एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे अगले वर्ष किसानों को मेंथा की खेती में होने वाले कीटों, खरपतवार, खाद, उर्वरक तथा पानी की समुचित जानकारी दी जा सके। साथ ही डेटा की मदद से प्रसंस्करण तथा विपणन की योजना बनाई जा सकती है। सीमैप के वैज्ञानिकों ने आशा जताई कि इस उच्चस्तरीय तकनीक से किसानों की जिंदगी में सार्थक बदलाव लाया जा सकता है।
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