पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होनी चाहिए…

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सपने वह नहीं जो नींद में देखे जाते हैं, सपने तो वे होते हैं जो आपकी नींद उड़ा दें। महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम की यह सीख शहर के रत्नेश कुमार प्रजापति पर एकदम सटीक बैठती है। इन्हीं सपनों ने उन्हें अखबार बांटने वाले हॉकर के साथ-साथ शोधार्थी भी बना दिया। रत्नेश पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व व विचारों से प्रेरित हैं। रत्नेश ने अपनी काबिलियत के दम पर तीन बार यूजीसी से आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की। आज वह हर गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं।

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अहियापुर निवासी रत्नेश के पिता राम प्यारे प्रजापति समाचार पत्र विक्रेता हैं। शुरू से ही परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। रत्नेश ने शुरुआती पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय अहियापुर में की। इसके बाद नगर पालिका इंटर कालेज से वर्ष 2001 में हाईस्कूल पास किया।

में अखबार बांटने का काम शुरू कर दिया

इस बीच पिता का पैर टूट गया। घर में आय का एकमात्र माध्यम पिता के होने के कारण स्थिति विकट हो गई। परिवार में चार भाई व दो बहनों में सबसे बड़ा होने पर रत्नेश ने पिता की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर ले लिया।रोजाना नगर के कचहरी, मियांपुर, लाइन बाजार के करीब 250 घरों में समाचार पत्र बांटकर 250 रुपये कमा लेते हैं। परिवार की मदद करने के उद्देश्य से उन्होंने 15 वर्ष की उम्र में अखबार बांटने का काम शुरू कर दिया।

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पढ़ाई में रुचि होने के कारण शिक्षा जारी रखी। उन्होंने वर्ष 2007 में टीडी कालेज से बीए, 2009 में समाजशास्त्र से एमए में कालेज के टापर रहे। वर्ष 2011 में मोहम्मद हसन डिग्री कालेज से बीएड कर वर्ष 2011 में ही प्राथमिक व जूनियर में टीईटी उत्तीर्ण किया। वर्ष 2014 में राज कालेज से एमएड उत्तीर्ण किया। इन्होंने दिसंबर 2014, जनवरी 2016, जुलाई 2016 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली द्वारा कराई जा रही राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा को उत्तीर्ण किया।टीडी कालेज में समाजशास्त्र विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर शोध निर्देशक डा.हरिओम त्रिपाठी की नजर रत्नेश पर तब पड़ी जब उन्होंने वर्ष 2017 में समाजशास्त्र विषय से शोध करने के लिए आवेदन किया।

तो ऐसे योग्य छात्र को प्रोत्साहन देना चाहिए

उन्होंने फौरन रत्नेश की योग्यता को देखते हुए अपने अंडर में विभागीय शोध समिति से उनका नाम शोध के लिए पंजीकृत करके विश्वविद्यालय को भेज दिया। रत्नेश के शोध का विषय ‘भारतीय समाज में सोशल मीडिया की भूमिका’ है। डा.हरिओम का कहना है कि गरीब छात्र जो आर्थिक रूप से कमजोर व सुदृढ़ न हो पढ़ाई करना चाह रहा है तो ऐसे योग्य छात्र को प्रोत्साहन देना चाहिए।

किताब देकर मार्गदर्शन भी करते रहे हैं

इससे वह शिक्षा के माध्यम से अपना व समाज दोनों का विकास कर सकता है।रत्नेश की इच्छा है कि वह शिक्षक बनकर गरीब छात्रों की मदद करे। साथ ही सामाजिक कार्यो के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करेंगे। जिससे छात्रों को पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न हो। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु बीएचयू के प्रो.आरएन त्रिपाठी व टीडी कालेज शिक्षक डा.हरिओम त्रिपाठी को देते हैं। उनका कहना है कि इन्होंने ही प्रेरणा प्रदान की और समय-समय पर किताब देकर मार्गदर्शन भी करते रहे हैं।

दैनिक जागरण

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