राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को शिकस्त देकर द्रौपदी मुर्मू भारत की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बन चुकी हैं. सोमवार को सुबह 10:00 बजे संसद के केंद्रीय कक्ष में द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी. प्रधान न्यायाधीश वी. रमन उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे. गृह मंत्रालय के अनुसार, मुर्मू को इक्कीस तोपों की सलामी दी जाएगी. उसके बाद राष्ट्रपति संबोधन होगा. बता दें 21 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ने विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर इतिहास रच दिया था.
द्रौपदी मुर्मू आजादी के बाद की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति महिला है. साल 2017 में झारखंड में भाजपा की सरकार थी. भारत की मौजूदा राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू उस वक्त वहां की राज्यपाल थी. वहां पर भाजपा की तरफ से सीएनटी एसटीपी संशोधन विधेयक भी लाया गया. जिस पार्टी ने इन्हें राज्यपाल बनाया था, उस पार्टी के विधायक को उन्होंने वापस करवा दिया था और कहा था कि यह आदिवासियों के हित में नहीं है.
द्रौपदी मुर्मू अपने गांव इलाके की पहली महिला थीं जो कक्षा सात के बाद भुवनेश्वर जाकर पढ़ने गई. पढ़ाई का जीवन में क्या महत्व होता है, मुर्मू को बहुत अच्छे से पता था और साथ ही साथ यह भी पता था कि आदिवासियों का जीवन पढ़ाई के बिना कुछ नहीं है. कक्षा 8 में मुर्मू क्लास मॉनिटर बनने के लिए लड़ाई की थी और क्योंकि मुर्मू क्लास की टॉपर थी. लेकिन, मुर्मू को मॉनिटर नहीं बनाया गया. कक्षा में 8 लड़कियां होने के बावजूद एक लड़के क्लास मॉनिटर बनाया गया. इसके बाद मुर्मू ने अपने हक की लड़ाई लड़ी और फिर उसी क्लास की मॉनिटर बनी.
द्रौपदी मुर्मू का जीवन काफी संघर्षों भरा रहा है, मुर्मू ने अपने तीन संताने खोई. साल 2010-2014 के बीच इन्होंने अपने दो बेटों और पति को खोया. उस समय मुर्मू के जीवन में दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा और वो डिप्रेशन में चली गई थी. उसके बावजूद भी मुर्मू ने समाज और खुद से हार नहीं मानी. मुर्मू ने खुद को और भी मजबूत बनाया और वापस लौटी. आज वो भारत की पहली आदिवासी महिला और देश की 15वीं राष्ट्रपति बनीं.