…तो जाधव पर मजबूत हुआ ICJ में भारत का केस

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भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी के पाकिस्तान दौरे के बाद क्या भारत को इस मामले में कुछ और दिखाने की जरूरत है? जहां जाधव के परिवार के साथ हुए बर्ताव से देश भर में रोष है वहीं सरकार में मौजूद लोगों का मानना है कि इससे कुछ महत्वपूर्ण चीजें बाहर निकल कर आई हैं। परिवार के लिए संतोष की बात है जब वे जान गए हैं कि जाधव जिंदा हैं और उनका स्वास्थ्य भी ठीक है। जाधव को शायद ड्रग्स दिया गया हो, डराया या फिर प्रताड़ित किया गया हो, लेकिन परिवार ने बताया कि वे जाधव से मिलकर खुश हैं।

जब उसने परिवार को मिलने का वक्त दिया

सूत्र बताते हैं कि तथ्य यह भी है कि पाकिस्तान जाधव को किसी से न मिलने देने के अपने फैसले से पीछे हटा है जब उसने परिवार को मिलने का वक्त दिया। भारत सरकार राजनयिक पहुंच के लिए अपनी दलीलों और इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के फैसले के लिए तैयारी कर रहा है। जब पाकिस्तान ने इस बात पर जोर दिया है कि वह किसी जासूस को राजनयिक पहुंच नहीं देगा, भारत सरकार का मानना है कि वियना कन्वेंशन के आधार पर इसका केस मजबूत हो गया है।

बिना अन्य विदित कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है

सूत्रों के मुताबिक, राजयनिक पहुंच का पहलु यह है कि इससे किसी को व्यक्तिगत और कानूनी सहायता मिलती है। इसका मतलब यह है कि उन्हें लड़ने के लिए कानूनी मदद भी मिलेगी। हालांकि, मिलिट्री कोर्ट के फैसले के बाद कानूनी सहायता निरर्थक है। पाकिस्तान मामलों के जानकार सुशांत सरीन बताते हैं कि अगर पाकिस्तान सोचता है कि जाधव की परिवार से मुलाकात ICJ में उसकी मदद करेगी तो यह नहीं हो सकता। अब भारतीय वकील के पास एक मौका होगा कि वे इसे गलत मुकदमा बता सकें, जब यह बिना गवाह के गोपनीय तरीके से और बिना अन्य विदित कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है।

कन्वेंशन खारिज करने को तैयार नहीं है

भारत का मानना है कि इसने ICJ में मामले को ले जाकर कुलभूषण जाधव के खिलाफ सुनाई गई अनुचित सजा पर रोशनी डाली है। निश्चित रूप से पाकिस्तान अभी भी जाधव को फांसी दे सकता है जो कि उसके हिरासत में हैं, लेकिन यह सबसे बुरी स्थिति में होगा। लेकिन जाधव के परिवार को मिलने देने की इजाजत देकर पाकिस्तान ने यह दिखाया है कि यह अभी कन्वेंशन खारिज करने को तैयार नहीं है। सूत्रों ने बताया, ‘पाकिस्तान वकीलों की नहीं सुन रहा।’

जाधव के स्थानीय संपर्क वाला हो

मामले को करीब से देखने वाले सूत्र बताते हैं कि कोई जासूस किसी देश में स्थानीय मदद के बिना काम नहीं कर सकता। पाकिस्तान ने सुनवाई के दौरान ऐसे किसी भी व्यक्ति को पेश नहीं किया जो जाधव के स्थानीय संपर्क वाला हो। सूत्र के मुताबिक, पाकिस्तान के केस में यह कमजोर कड़ी है। रॉ के पूर्व चीफ विक्रम सूद बताते हैं, ‘उम्मीद है कि इससे यह तय हो जाएगा कि पाकिस्तान भारत के मामले में सभ्य व्यवहार करने में अक्षम है।’ सुशांत सरीन कहते हैं कि जाधव की पत्नी और मां के साथ किए गए व्यवहार ने पाकिस्तान की पोल खोल दी है। पाकिस्तान जिस तरह से लाभ पाने की उम्मीद कर रहा था उसकी मानसिकता के कारण उसे वह नहीं मिल पाएगा।

(साभार-एनबीटी)

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