क्या इन छापों के सियासी मायने भी हैं?

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कांग्रेस के सीनियर लीडर पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के यहां सीबीआई व आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी मीसा भारती के यहां आयकर के छापों को लेकर विवाद

देश के विभिन्न हिस्सों में आज पड़े छापों के सियासी मायने निकाले जायेंगे। पहला छापा पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के यहां सीबीआई का पड़ा। इन छापों के जवाब में चिदंबरम ने कहा-सरकार का मकसद मेरी आवाज को खामोश कर देना और मुझे लिखने से रोकना है। जैसा कि विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, स्तंभकारों, गैर सरकारी संगठनों और नागरिक संगठनों के मामलों में उसने करने की कोशिश की है। वैसे मैं ये भी कहना चाहता हूं कि मैं बोलना और लिखना जारी रखूंगा।

पूर्व वित्त मंत्री भाजपा के नेतृत्व वाली मौजूदा केंद्र सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं।

दूसरा छापा इनकम टैक्स विभाग ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी मीसा भारती से जुड़े कथित बेनामी लैंड डील मामले में दिल्ली-एनसीआर में मारे। लालू के दो बेटे बिहार सरकार में मंत्री भी हैं। 1000 करोड़ रुपये की लैंड डील्स के मामले में दिल्ली और गुड़गांव में 22 ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। ये छापे उन कंपनियों और लोगों के यहां मारे गए हैं जो लैंड डील के मामले में लालू से जुड़े रहे हैं।

हाल ही में खुलासा किया गया था कि किस तरह दिल्ली में लालू की बेटी और उनके दामाद ने यूपीए सरकार के दौरान करोड़ों की जमीन मुखौटा कं पनियों के जरिए बहुत ही कम दाम में खरीदी थी। यह काम मुखौटा कंपनियों के शेयर खरीदने और बेचने की आड़ में किया गया था। आरोपों के घेरे में लालू की सबसे बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती और दामाद शैलेश कुमार हैं। यह खुलासा भी किया गया था कि जिस कंपनी के जरिए यह कथित स्कैम किया गया, उसका रजिस्टर्ड पता लालू का सरकारी आवास था। बाकायदा कागजी सबूतों के साथ किए गए इस खुलासे को आरजेडी ने सुपारी पत्रकारिता बताया था।

वैसे सीबीआई का कहना है कि एफआईपीबी की मंजूरी में आपराधिक गलती के सिलसिले में कार्ति चिदंबरम के घर समेत मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम और चेन्नई में छापे मारे गए हैं। जबकि प्रति उत्तर में चिदंबरम ने कहा कि छापा डालने वाली एजेंसी का कहना है कि एफआईपीबी की मंजूरी सैकड़ों मामलों में दी जाती है। सरकार के पांच सचिव इसका हिस्सा होते हैं और उनमें से किसी के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। मेरे खिलाफ भी कोई आरोप नहीं हैं।

हालांकि सियासी परिवारों के यहां पड़नेवाले ऐसे छापों के बारे में यह बराबर ही कहा जायेगा कि सरकार सीबीआई और दूसरी एजेंसियों के जरिए परिवार वालों और उसके दोस्तों को निशाना बना रही है। इस जांच एजेंसी ने हाल ही में एफआईपीबी मंजूरी में कथित अनियमितता को लेकर केस दर्ज किया था। कथित अनियमितता के ये मामले चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए थे।

यह भी कहा गया है कि यूपीए सरकार के दौरान आईनेक्स मीडिया के फंड को फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड  के जरिये मंजूरी दी गई थी। उस दौरान यह विभाग चिदंबरम के पास था। सूत्रों के मुताबिक कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उनकी कंपनी नेआईनेक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश के मामले में मंजूरी दिलाने के लिए घूस ली थी। उनके दफ्तरों पर पहले भी छापे पड़ चुके हैं। पी चिदंबरम कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार हैं। वह यूपीए सरकार में वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं।

लोग कह रहे हैं कि अगर ये छापे विपक्षी नेताओं का मुंह बंद करने के लिए मारे जा रहे हैं तो इसे जनता गंभीरता से भी ले सकती है।

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