यूपी की जेल में चल रहे अवैध धंधे, स्टिंग ऑपरेशन से हुआ खुलासा

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उत्तर प्रदेश कि जेलों में समय समय पर कैदियों व जेल अधिकारियों से मिली भगत की बात सामने आती रहती है। अभी ताजा मामला झांसी जेल का सामने आया है। एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिससे पुलिस प्रशासन पर उंगली उठनी तय है। सीएम योगी आदित्य नाथ व डीजीपी सुखलान सिंह द्वारा अपराधियों पर नकेल कसने का दावा भी इस स्टिंग ने झूठा साबित कर दिया गया है। यह स्टिंग जेल के कैदियों ने ही किया है।

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स्टिंग ऑपरेशन ने खोली जेल प्रशासन की पोल
झांसी जेल के अंदर कैदियों के साथ एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया। झांसी जेल के अंदर की इन तस्वीरों ने जिला जेल प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है। इस स्टिंग के संबंध में यूपी के जेल मंत्री जय कुमार सिंह जैकी ने बताया कि मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होगी। सवाल यह नहीं है कि कार्रवाई होगी या नहीं? सवाल यह है कि पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारियों को क्या इसकी खबर नहीं थी। अगर नहीं थी सीएम अपराधियों पर नकेल कसने की बात किस आधार पर करते हैं? अगर सूचना थी जो इतना बड़ा खेल चल कैसे रहा था?

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स्टिंग से सामने आई जेल की सच्चाई

झांसी जेल में कैदियों की मौज है। यहां जिला कारागार को एक सिंडिकेट चला रहा है। जेलर के खास कैदी जेल चलाते हैं। कैदियों से अवैध वसूली का धंधा जोरो पर है। यहां अवैध वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है। जेलर के कारखास कैदी जेल के भीतर मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। जेल में कैदियों के लिए जुए का अड्डा, गुटखा, सिगरेट की खुलेआम बिक्री, मनमर्जी से खाना बनाते हैं कैदी, कैदियों को मिलती है पसंद की मिठाई। झांसी जेल के भीतर स्टिंग करने वाले कैदियों ने बताया, जेल के अंदर जलेबी, शराब, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट यहां तक कि सब्जी की कीमत पहले से ही तय रहती है। हर रोज जेल प्रशासन की इस व्यापार से एकलाख रुपए से ऊपर की कमाई होती है। काबलियत के हिसाब से जेलर कैदियों को काम देता है। पूरी जेल को पुलिस नहीं राइटर और लंबरदार चलाते हैं। इनकी संख्या करीब 40 के आस-पास है। हर बैरिक में 2 लोगों को रखा जाता है।

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जेल अधिकारियों के दलाल बनते हैं कैदी

जेल अधिकारी कैदियों को ही अपना अपना दलाल बना लेते हैं। दबंग किस्म के ये कैदी अधिकारियों के शह पर कमजोर कैदियों पर अत्याचार करते हैं। लंबरदार के पास एक डंडा होता है जो पूरी जेल में घूम-घूमकर कमजोर  कैदियों पर अत्याचार करता है। झांसी जेल में लगभग 1500 कैदी हैं जबकि लॉकअप में 470 कैदी रखने की व्यवस्था है। जेल के अंदर हाई क्वालिटी के मोबाइल से लेकर कैदियों के पास सारे ऐश और आराम के समान होते हैं, यहां जैमर काम नहीं करता है।

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दामाद जैसी सुविधाए जेल में

पैसे के बल पर कोई भी कैदी हर प्रकार की सुविधा प्राप्त कर सकता है। अधिक रकम देकर जेल के अंदर ही खाने की लजीज खाने का स्वाद लिया जा सकता है। मीडियम क्लास के कैदी जेल से मिलने वाले खाने में रोटियां ज्यादा लेते हैं। फिर उन्हें सुखाकर ईंधन के काम में लाते हैं। स्टिंग में यह भी नजर आया कि अलग-अलग जगह कैदी अपनी पसंद का खाना बनाते हुए दिख जाएंगे। जेल के अंदर 150 रुपए के हिसाब से जलेबी मिल जाती है और बालूशाही का एक पीस 10 रुपए का मिलता है, इसकी कीमत जेलर तय करता है। बर्थडे पर बाहर से आता है केक कैदी पैसे देने में सक्षम है तो उसके बर्थडे पर बाकायदा बाहर से केक और दूसरे सामान मंगाए जाते हैं। जिसकी उन्हें मुंह मांगी कीमत देनी पड़ती है। पूरी जेल में एक बिजनेस की तरह नेटवर्क चलता है यदि कोई नया कैदी आता है तो उससे मशक्कत के नाम पर 300 रुपए वसूले जाते हैं। यदि पैसे वाला है तो 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक मशक्कत के नाम पर ले लिए जाते हैं। कैदी जब जेल के अंदर पैसे लेकर जाते हैं तो उनसे 10 पर्सेंट कमीशन वसूला जाता है।

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अधिकारियों से मिलकर होते हैं सारे काम  
जेल सुपरिटेंडेंट राजीव शुक्ला, जेलर कैलाश चंद्र और डिप्टी जेलर संदीप भास्कर पर झांसी जेल की पूरी जिम्मेदारी है। यह कैसे मुमकिन है कि इन तीनों को जेल में चल रहे इस नेटवर्क के बारे में जानकारी ना हो।  इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इनके इशारे पर ही जेल में यह नेटवर्क फल फूल रहा है।

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जेल में कैदियों का दबदबा
सत्येंद्र नाम का कैदी गरौठा थानाक्षेत्र का रहने वाला है मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। सुपरिंटेंडेंट का राइटर है, इसकी बैरक में 56 इंच की रुष्टष्ठ टीवी लगी हुई है। अपने पास स्मार्ट फोन रखता है। यह जेल के अंदर कैंटीन चलवाता है। इसकी मंथली इनकम 50-60 हजार रुपए महीने हैं। कैंटीन में एक लाख रुपए की रोज की बिक्री है। गोलू जो झांसी के ही मऊरानीपुर थानाक्षेत्र का रहने वाला है। मर्डर केस में आजीवन सजा काट रहा है। इसका काम है कैदियों को उनके रिश्तेदारों से मिलान और पर हेड 20 रुपए लेना है। जिसमें से वो खुद 5 रुपए रखता है बाकी 15 रुपए जेलर के पास जाते हैं। जितेंद्र नाम का अपराधी मर्डर केस में आजीवन कारावास काट रहा है। इसके पास खाद्य सामग्री का चार्ज रहता है। यह अपने नेटवर्क द्वारा कैदियों के लिए आई सरकारी सामग्री को बाहर मार्केट में बिकवा देता है। जिसका कमीशन इस से लेकर जेल प्रशासन तक पहुंचता है। छोटे श्रीवास  मर्डर केस में आजीवन सजा काट रहा है इसका काम है जेल के अंदर जुआ खिलवाना और ब्याज पर कैदियों को पैसा बांटना। कौशल रावत नाम का शख्स जेलर का राइटर यह सिर्फ जेलर का आदेश मानता है। जेलर के इशारे पर कैदियों को पीटता है।

साभार: (UC News)

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