डिजिटल दौर में भाषाई पत्रकारिता हुई अधिक सुलभ

डिजिटल तकनीक के कारण क्षेत्रीय मुद्दों को मिल रही अधिक पहचान: प्रो. आरएम पाठक

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में ‘भाषाई पत्रकारिता एवं मीडिया: नए आयाम’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में डिजिटल युग में भाषाई पत्रकारिता की भूमिका, उसके अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की गई.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बेंगलुरु नॉर्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. निरंजना ने कहा,“डिजिटलीकरण ने भाषाई पत्रकारिता को अधिक सुलभ बना दिया है. यह मुख्यधारा की पत्रकारिता और क्षेत्रीय पत्रकारिता के बीच संतुलन बनाने में सहायक है. इसके साथ ही यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत करता है.”

मुख्यधारा की भाषाओं का वर्चस्व घटा

प्रयागराज के पूर्व कुलपति प्रो. आरएम पाठक ने डिजिटल माध्यमों को क्षेत्रीय पत्रकारिता के विकास का महत्वपूर्ण कारक बताते हुए कहा, “डिजिटल तकनीक के कारण क्षेत्रीय मुद्दों को अब अधिक पहचान मिल रही है. मुख्यधारा की भाषाओं का वर्चस्व घटा है और यह लोकतंत्र के लिए सकारात्मक संकेत है.” कार्यक्रम की संयोजक और पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. शोभना नेर्लिकर ने कहा, “भाषाई पत्रकारिता हमारी सांस्कृतिक विविधता और पहचान को संरक्षित करने के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करती है. डिजिटल युग में आधुनिक तकनीकों के साथ संतुलन बनाना आवश्यक है.”

इनकी भी रही मौजूदगी

संगोष्ठी में कला संकाय के प्रमुख एमएस पांडेय ने भाषाई पत्रकारिता के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की. काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डॉ. अत्रि भारद्वाज ने कहा कि क्षेत्रीय मीडिया अब स्थानीय समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने में अहम भूमिका निभा रहा है.
वहीं प्रदीप कुमार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बदलते रिश्तों पर अपने विचार साझा किए. कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा, डॉ. बाला लखेन्द्र, डॉ. नेहा पांडेय सहित शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

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