सेना को मिली ‘धनुष’, जाने इसकी खासियत
स्वदेशी तकनीक से बनी ‘धनुष’ तोप (155 एमएम/45 कैलिबर गन) को सैन्य बेड़े में शामिल किया गया है। ‘धनुष’ की पहली खेंप आर्मी को ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड के द्वारा सौंपी जा चुकी है। रक्षा विभाग ने 114 धनुष तोपें आर्मी को दी है। इस आधुनिक तोप को बोफोर्स की जगह तैनात किया जाएगा।
‘देसी बोफोर्स’ 38 किलोमीटर के दायरें में दुश्मन को मार सकती है। यह देश की पहली ऐसी तोप है जिसके 81 फीसदी उपकरण भारत में ही बने हैं। ये तोप बेहतर बंदूक प्रणाली के रुप में उभरी है जो आज सेना में शामिल हो रही है।
सेना की तरफ से हर मौसम के मुताबिक किए गए परीक्षण में यह खरी उतरी है। इसका आयुध निर्माणी कानपुर और फील्ड गन फैक्ट्ररी में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो गया है। इस संबंध में भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने 19 फरवरी को हरी झंडी दी थी।
‘धनुष’ का सफरनामा—
साल 2000 में आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) ने बोफोर्स की बैरल अपग्रेड करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को दिया था। फैक्ट्रीय ने देश में पहली बार सात मीटर लंबी बैरल बनाई जिसे 2004 में सेना ने मंजूरी दी। बैरल पास होते ही तोप बनने का प्रस्ताव भेजा गया।
इसके बाद 2011 में बोफोर्स तोप की टेक्नोलॉजी और भारत में इसे बनाने की मंजूरी देने के लिए स्वीडन की कंपनी ने 63 महीने का वक्त मांगा। इस बीच ओएफसी ने भी तोप बनाने का प्रस्ताव सेना को दिया। सेना ने 18 महीने का वक्त दिया था। ओएफसी, फील्ड गन और डीआरडीओ ने रिकॉर्ड समय में बेहतर नई तोप बनाकर सेना को सौंप दी।
एक नजर में ‘धनुष’—
- बैरल की लंबाई आठ मीटर
- बैरल का वजन 2692 किलो
- 42—45 किलोमीटर रेंज
- दो फायर प्रति मिनट
- लगातार दो घंटे फायर करने में सक्षम
- फिट होने वाले गोले का वजन 46.5 किलो
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