पांच दिवसीय दीपावली का त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज से समाप्त होता है. धनतेरस का त्यौहार कार्तिक मॉस के त्रयोदशी को मनाया जाता है. धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्दति के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. कहते है जब वह समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे तो उनके हाथ में कलश था इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है. इसी दिन से दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक मॉस के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का प्रदोष काल सांध्यकाल 5 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा और शाम 08 बजकर 08 मिनट (कुल दो घंटे 38 मिनट) में समाप्त होगा.
प्रदोष काल में शुभ मानी जाती है धनतेरस की पूजा
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और ११ नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट में समाप्त होगी. इसलिए धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है. आपको बता दें कि धनतेरस में बर्तन खरीदना शुभ होता है इसलिए शुभ मुहूर्त में बर्तन खरीदना चाहिए . तो आइये जानते है क्या है बर्तन खरीदना का शुभ मुहूर्त…
धनतेरस में ये चीजे खरीदना होता है शुभ…
कहते है कि धनतेरस की दिन सामान खरीदने से धन में बढ़ोत्तरी होती है. इसलिए लोग इस दिन बर्तन के अलावा सोना- चांदी के साथ वाहन और कुबेर यन्त्र भी खरीदते है. इस दिन तांबा का बतर्न व झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन झाड़ू खरीदने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
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धनतेरस की पूजा विधि…
धनतेरस का त्योहार दीपावली से पहले मनाया जाता है. यह 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला दिन होता है. धनतेरस पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान है.धनतेरस पर यम देवता की पूजा और घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है.