यहां मिलती है किराए की पत्नी, जानें इस ‘प्रथा’ के बारे में
ऐसा होता है मध्य प्रदेश में। यहां शिवपुरी में दशकों पहले शुरू हुई ये कुप्रथा आज भी कायम है। इस कुप्रथा को धड़ीचा प्रथा के नाम से जानी जाती है। लड़कियों और महिलाओं को किराए पर देने के लिए यहां हर साल मंडी सजती है
‘किराए पर पत्नी’, यह वाक्य काफी हैरान करने वाला है। लेकिन यह सच है। भारत में एक ऐसा राज्य है जहां लोग पैसे देकर दूसरों की बीवी, बहू या फिर बेटी को एक साल या फिर इससे कम समय के लिए ले जा सकते हैं।
ये है धड़ीचा (dhadeecha) प्रथा-
ऐसा होता है मध्य प्रदेश में। यहां शिवपुरी में दशकों पहले शुरू हुई ये कुप्रथा आज भी कायम है। इस कुप्रथा को धड़ीचा प्रथा के नाम से जानी जाती है। लड़कियों और महिलाओं को किराए पर देने के लिए यहां हर साल मंडी सजती है। दूर-दूर से खरीदार अपने लिए पत्नी किराए पर लेने आते हैं। सौदा तय होने के बाद खरीदार पुरुष और बिकने वाली महिला के बीच 10 रुपए से लेकर 100 रुपए के स्टांप पेपर पर करार किया जाता है।
कीमत अदा कर ले जाते हैं पत्नी-
जिसे जितने समय के लिए लड़की चाहिए वह रकम अदा कर ले जाता है और उतने समय के लिए लड़की को अपने पास रखता है। बाद में उसे वापस छोड़ जाता है। जानकारी के मुताबिक मंडी में लड़कियों की कीमत 15 हजार रुपए से शुरू होकर 4 लाख रुपए तक हो सकती है। खरीदार लड़कियों की चाल-ढाल और खूबसूरती देखकर उनकी कीमत लगाते हैं।
मंडी में कुंवारी लड़कियां भी होती हैं और किसी की पत्नी भी। करार की अवधि समाप्त होने के बाद महिला की फिर दूसरे पुरुष से शादी हो जाती है। पहले वाला पुरुष ही महिला को रखना चाहता है तो उसे फिर से मोटी रकम अदा करनी होती है।
औरत तोड़ सकती है करार-
महिला चाहे तो करार को बीच में तोड़ भी सकती है। अगर महिला ऐसा करती है तो उसे स्टांप पेपर पर शपथ पत्र देना होता है। इसके बाद उसे तय राशि पति को लौटानी पड़ती है। ऐसा देखा गया है कि दूसरे पुरुष से ज्यादा रकम मिलने पर भी महिला करार तोड़ देती है।
जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि गुजरात के भी कुछ इलाकों में ऐसे मामले सामने आए हैं। हालांकि कुछ इलाके में यह एक व्यापार बन गया है। इसका सबसे बड़ा कारण गरीबी और लिंगानुपात में कमी है।
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