नफासत-ए-लखनऊ: मियां लोग यहां चिकन खाते भी हैं और पहनते भी

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मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं..ये यूपी की राजधानी लखनऊ के लिए कहा जाता है, लेकिन कभी आप लखनऊ घूमने आएं और यहां के बारे में नहीं सुना तो लखनऊ घूमना आपका बेकार हो गया। जनाब लखनऊ एक ऐसा शहर है, जहां चिकन लोग खाते भी हैं और पहनते भी हैं, और यहां के चिकन(chikan) के कपड़ों की बात ही अलग है। परिधान तन को सुकून देने के साथ ही भीड़ में भी अलग दिखाते हैं। यही वजह है कि लखनऊ शहर अपनी चिकनकारी के लिए दुनियाभर में मशहूर है। आम हो या खास, लखनऊ आने वाले पर्यटक यहां से लौटते समय चिकन के कपड़े ले जाना नहीं भूलते। लखनवी चिकन में हो रहे नए प्रयोग कद्रदानों को और भी लुभा रहे हैं। साधारण चिकनकारी वाले लेडीज वियर ही नहीं, जेंट्स के लिए कुर्ता-पैजामा फैशन से कदमताल मिलाते हुए हर उम्र के लोगों को लुभा रहे हैं। जो फैशन से कदमताल करते आगे बढ़ रही है। तो चलिए आज हम आपको लखनवी चिकनकारी के बारे में बताते हैं…

Chikan ग्लोबल मैप पर लखनऊ की पहचान
लखनऊ के चिकनकारी की बात करें तो यह मुगलकाल से लेकर अब तक ग्लोबल मैप पर लखनऊ की पहचान रही है। चिकनकारी की ये कला सोलहवीं सदी में नूरजहां हिंदुस्तान में लेकर आई थीं। वहीं इन दिनों बॉलीवुड व टीवी सीरियल्स में भी चिकनकारी का इस्तेमाल होता काफी दिख रहा है। अनारकली सूट के साथ-साथ लॉन्ग कुर्तियों का क्रेज भी खूब देखने को मिल रहा है। जॉर्जेट, रेशम और चंदेरी सिल्क का काम काफी पसंद किया जा रहा है। व्यापारी विकास सिंह बताते हैं कि चिकन के सूटों की कीमत ज्यादा होती है, क्योंकि इसे बनाने में काफी मेहनत होती है। मार्केट में चिकन के सूटों की कीमत आपको 700 रुपये से लेकर 3500 रुपये की रेंज में और लॉन्ग कुर्तियां 250 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक में मिल जाएंगी।

Chikan का क्रेज बॉलीवुड में बढ़ रहा
लखनऊ की प्रसिद्ध चिकनकारी में समय के साथ आए बदलाव की वजह से इसकी डिमांड और बढ़ी है। पिछले कुछ वर्षों में फिल्मी शादियों में चिकन खूब पहना जा रहा है। यही वजह है कि अब मिडिल व अपर मिडिल क्लास की शादियों में भी चिकन के कपड़ों की मांग बढ़ी है। मुंबई से अगर कोई फिल्मी हस्ती या फिर मुंबई के लोग लखनऊ घूमने आते हैं तो वह चिकन के कपड़ों को जरूरुर यहां से लेकर जाते हैं।

Chikan में समय के साथ आया बदलाव
चिकन की लेडीज वियर में पहले साड़ी, सलवार सूट, कुर्ती व जेंट्स वियर में कुर्ता-पैजामा मिलते थे, लेकिन समय के साथ इसकी अब यह भी काफी बदल गया है और लखनऊ की इस प्रसिद्ध कारीगरी का भी विस्तार हो गया है। प्योर जॉर्जेट, विस्कोस जार्जेट, कॉटन चंदेरी, टसर फैब्रिक व प्रिंटेड फैब्रिक पर चिकनकारी के नई वैराइटी इंडियन व वेस्टर्न वियर में तैयार हो रही है। चिकन कारोबारी नई-नई डिजाइन लेकर बाजार में उतर रहे हैं। कपड़े ही नहीं बल्कि बैग, पर्स और जूतियां भी खूब पसंद की जा रही हैं। लखनऊ आने वाला कोई भी शख्स चिकन के सामान की खरीदारी करना नहीं भूलता।

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भारत के साथ वेस्टर्न वियर में भी चिकन
चिकन(chikan) के शौकीन इसमें भी फैशन चाहते हैं, इसलिए इसमें नए प्रयोग कर फ्यूजन किया जा रहा है। फैशन के साथ कदमताल के लिए लेडीज स्ट्रेचेबल पैंट, लैगिंग, प्लाजो, लेडीज ट्राउजर, सिगरेट पैंट, डिजाइनर कुर्ती, टॉप, शरारा, गरारा, लहंगा, एडिशनल वर्क के साथ गोटा-पत्ती सूट और साड़ी जैसी वेस्टर्न व इंडियन वियर की वैराइटी तैयार होता है। पुराने लखनऊ के चौक, अमीनाबाद सरीखे इलाकों में फैशनेबल कपड़े तैयार किए जाते हैं। पहले चार कली वाला चिकन का कुर्ता खूब चलता था अब उसका चार्म खत्म हो रहा है, लेकिन ऐसा नहीं कि ये अब मिलता नहीं है। आज भी लखनऊ के मार्केट में यह आपको मिल जाएगा। वहीं कलीदार कुर्ते की जगह अब ‘ए’लाइन के कुर्तों ने ले ली है। परंपरागत डिजाइन के साथ अब फैशनेबल परिधान तैयार होने लगा है।

अमेरिका, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया, सरीखे देशों में हो रहा एक्‍सपोर्ट
लखनवी चिकन(chikan) गारमेंट्स की डिमांड केवल भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी है। यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा आदि देशों में इसका एक्‍सपोर्ट होता है। टोटल प्रोडक्‍शन का लगभग 10-15 फीसदी एक्‍सपोर्ट हो जाता है। एक्‍सपोर्ट होने वाले प्रोडक्‍ट की क्‍वालिटी और उसका वर्क बहुत ही अलग और बारीक होता है। बाहर जाने वाले चिकन गारमेंट्स का कपड़ा मलमल होता है। जानकारों का यह भी कहना है कि उसकी कीमत भी बहुत ज्‍यादा होती है। भारत में ज्‍यादातर कॉटन या जॉर्जेट पंसद किया जाता है लेकिन बाहर के देशों में इसके अलावा भी अन्‍य तरह के फैब्रिक्‍स के बने चिकन गारमेंट्स की काफी डिमांड है। एक्‍सपोर्ट होने वाले प्रोडक्‍ट्स में प्‍योर चिकन कारीगरी के साथ फ्यूजन भी शामिल होता है।

 

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[bs-quote quote=”लखनवी चिकनकारी की डिजाइनर शिखा मिश्रा कहती हैं कि चिकन के गारमेंट्स के लिए होलसेलर्स के पास ऑर्डर्स जनवरी-फरवरी में ही आ जाते हैं। गारमेंट्स और प्रोडक्‍ट तैयार करने के लिए पहले कपड़े पर डिजाइन की छपाई नील से होती है। रेडीमेड गारमेंट के मामले में पहले कपड़े से प्रोडक्‍ट जैसे कुर्ती, साड़ी बना लिए जाते हैं, उसके बाद उस पर डिजाइन छापी जाती है। फिर उसे चिकन की कढ़ाई के लिए दिया जाता है। शिखा मिश्रा कहती हैं कि कढ़ाई का काम लखनऊ में घर-घर में होता है। चिकन की कढ़ाई केवल हाथ से की जाती है। पूरा प्रोडक्‍ट तैयार होने में मिनिमम एक महीने से लेकर 5-6 महीने तक का वक्‍त लगता है, जो कढ़ाई के पैटर्न पर निर्भर करता है। इसके बाद इसकी सप्‍लाई शुरू होती है। देश में सबसे महंगा जॉर्जेट का प्रोडक्‍ट बिकता है।” style=”style-11″ align=”left” author_name=”शिखा मिश्रा” author_job=”फैशन डिजाइनर” author_avatar=”https://journalistcafe.com/wp-content/uploads/2020/03/shikha-mishra.jpg” author_link=”https://gramho.com/profile/iamshikhamishra/3177656199″][/bs-quote]

गर्मियों में बढ़ जाती है डिमांड
लखनऊ की चिकनकारी की गर्मी के सीजन में मांग बढ़ जाती है, क्योंकि इसे पहनने से लोगों को काफी आराम मिलता है। लखनऊ के दुनियाभर में मशहूर चिकन गारमेंट्स के बिजनेस में भी तेजी आ रही है। समय के साथ आए बदलाव में लखनवी चिकन गारमेंट्स की डिमांड में करीब 20 फीसदी तक की तेजी आयी है।

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(डिजाइनर शिखा मिश्रा)

करोड़ों रुपए का कारोबार
पूरे लखनऊ में चिकनकारी का बिजनेस कितना बड़ा है, इसका कोई तय आंकड़ा नहीं है लेकिन जानकारों का मानना है कि लगभग 400-500 करोड़ रुपए का हर साल चिकनकारी का कारोबार होता है। यहां इस तरह के गारमेंट्स के मैन्‍युफैक्‍चरर्स की संख्‍या लगभग 1500 से 2000 है। इनमें से कइयों का सालाना कारोबार 1.5 करोड़ से 2 करोड़ के बीच है।

 

 

 

 

 

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Chikan की वैराइटी में हो रहा विस्तार
लखनवी Chikan में लेडीज वियर में पहले साड़ी, सलवार सूट, कुर्ती व जेंट्स वियर में कुर्ता-पैजामा मिलते थे। पर, अब रेंज में काफी विस्तार हो रहा है। फैशन को देखते हुए चिकन में भी विस्तार हो रहा है। प्योर जॉर्जेट, विस्कोस जार्जेट, कॉटन चंदेरी, टसर फैब्रिक व प्रिंटेड फैब्रिक पर चिकनकारी की नई वैराइटी इंडियन व वेस्टर्न वियर में तैयार हो रही है।

 

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