दिल्ली हिंसा: हाई कोर्ट ने कहा – देश में एक बार फिर 1984 जैसे हालात बनने नहीं दे सकते

लोगों को आश्रय देने जैसे निर्देश

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दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में हिंसा के संबंध में कई आदेश दिए और कहा कि ‘हम एक बार फिर 1984 जैसे हालात शहर में नहीं बनने दे सकते।’
दिल्ली में हिंसा से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हैं. हिंसा को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति बनाए रखने की अपील की है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है.

लोगों को आश्रय देने जैसे निर्देश

इसके साथ ही अदालत ने मारे गए लोगों के शवों को परिजनों द्वारा सुरक्षित तरीके से ले जाने, पर्याप्त संख्या में हेल्पलाइन स्थापित करने, विस्थापित हुए लोगों को आश्रय देने जैसे निर्देश दिए.

अदालत ने कहा, “हम पीड़ितों और एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शीघ्र कदम उठाया जा रहा है.”

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि अब तक क्या कार्रवाई हुई ये बताएं?

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में आज सुबह सुनवाई शुरू हुई जो अभी जारी है. याचिका में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाने की मांग की गयी थी.कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि अब तक क्या कार्रवाई हुई ये बताएं? दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में किसी आदेश की जरूरत नहीं होनी चाहिए पुलिस को खुद ही भड़काऊ भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई करनी चाहिए. याचिका में अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा पर हिंसा भड़काने का आरोप है.

कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई

कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है. सुनवाई के दौरान उप राज्यपाल के वकील तुषार मेहता ने कहा कि अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के जिन बयानों की बात हो रही है वो चुनाव के समय के और 15 दिन पुराने हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि तब तो ये और गंभीर हो जाता है कि 15 दिन पहले के हैं। क्योंकि ऐसे मामलों में क्या सीपी को किसकी अनुमति चाहिए मामला दर्ज़ करने के लिए?

आप ने दिल्ली हिंसा के लिए शाह को ठहराया जिम्मेदार

आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए शांति की अपील की है। पार्टी ने न केवल दिल्ली के दंगों पर बात की, बल्कि एक महत्वपूर्ण समय पर इसका राजनीतिकरण भी किया।

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