दिल्ली हिंसा : ‘मैं DCP होता तो खुद मरकर 45 बेकसूरों को बचा लेता’

दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी ने कहा, 'अगर उस दिन मैं नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का डीसीपी होता तो खुद मरकर रतनलाल, अंकित समेत 45 बेकसूरों को मरने नहीं देता

0

पुलिस लोगों की जान बचाने को होती है। न की बलवाइयों के बीच फंसे बेकसूरों की लाशें बिछवाने के लिए।’ ये कहना है दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी यानी पुलिस उपायुक्त लक्ष्मी नारायण राव ने की है।

उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि ‘ईश्वर जो करता है अच्छा करता है।’ उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले में 24-25 फरवरी 2020 को हुए बलवों में ईश्वर ने क्या अच्छा कर दिया? हवलदार रतन लाल, आईबी के अंकित शर्मा सहित 45 बेबस-बेकसूरों को दंगों की आग में झोंक दिया गया।

मैं होता तो रतन लाल-अंकित को मरने ना देता-

लक्ष्मी नारायण राव ने आगे कहा, ‘हैरत में हूं कि जिला जलता रहा। लोग एक दूसरे के पीछे उसकी जान लेने को बेतहाशा गलियों-सड़कों पर भागते रहे। जिला डीसीपी, जोकि जिले की फोर्स का लीडर/कप्तान होता है, गोली चलाने के लिए ऑर्डर और हुक्म का इंतजार ही करता रहा।’

आगे उन्होंने कहा, ‘अगर उस दिन मैं नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का डीसीपी होता तो खुद मरकर रतनलाल, अंकित समेत 45 बेकसूरों को मरने नहीं देता।’

‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’

राव दिल्ली पुलिस में सन 1977 में बतौर सब-इंस्पेक्टर भर्ती हुए थे। कालांतर में दिल्ली पुलिस ही क्या हिंदुस्तान की पुलिस में ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ की लिस्ट में टॉप पर पहुंच गए। लिहाजा, एक के बाद एक आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन लेने वाले एल.एन. राव साल 2014 में दिल्ली पुलिस डीसीपी स्पेशल सेल के पद से सेवा-निवृत्त हो गए।

यह भी पढ़ें: दिल्ली : मेट्रो स्टेशन पर लगे ‘गोली मारो…’ के नारे, 6 हिरासत में

यह भी पढ़ें: दिल्ली : हिंसाग्रस्त इलाकों अब तय समय से होंगी 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं

 

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More