चोरी 370 रुपए की, फैसला 29 साल बाद, सजा 5 साल

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हमारे देश में कानून व्यवस्था कितनी धीमी काम करती है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि  महज 370 रुपए की चोरी के मामले में फैसला आने में 29 साल लग गए। दरअसल, बरेली में 1988 में एक चोरी का मामला प्रकाश में आया था जिसमें मुकदमा दर्ज हुआ और शुरू हुई तारीख पर तारीख मिलने का सिलसिला। इस चोरी मामले से जुड़े एक व्यक्ति की 2004 में मौत भी हो गई लेकिन फैसला नहीं आया।

क्या है मामला ?

आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला- 21 अक्तूबर 1988 को वाजिद हुसैन नाम का शख्स ट्रेन से शाहजहांपुर जा रहा था। तभी चंद्रपाल, कन्हैया लाल और सर्वेष नाम के शख्स ने उन्हें चाय के साथ नशीला पदार्थ पिलाकर उनके पैसे लूट लिए। इस वारदात को अंजाम देने के बाद चंद्रपाल करीब 16 साल तक गायब रहा। इस मामले में आईपीसी की धारा 379, 328 और 411 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। लेकिन फैसला आने से पहले ही चंद्रपाल इस दुनिया से जा चुका था।

मामला उत्तर प्रदेश जिले के हरदोई जिले का है। मामले में दोषी पाए गए दोनों युवक की उम्र 60 के पार पहुंच चुकी है। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों युवकों को 5 साल की कैद और 10 हजार रुपए का जुर्माना लगया है।

इससे पहले भी कई मामलों में सालों बीत गए

देश में ये कोई पहला मामला नहीं है जिसकी सुनवाई इतने सालों तक चली है। इससे पहले और भी कई मामले हुए हैं जिनमें बरसों बाद फैसला आया है। ऐसे ही 2014 में चांद खान उर्फ शान खान को 2002 में हुए अक्षरधाम मंदिर हमले मामले में 11 साल जेल काटी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में उन्हें पांच अन्य लोगों समेत मामले से बरी किया था। ठीक इसी तरह मोहम्मद हुसैन फाजिली को 2005 में दिल्ली के सीरियल ब्लास्ट से जुड़े होने के मामले में करीब 12 साल जेल में रहना पड़ा था।

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