संविधान पर बहस! अनुच्छेद 74(1)-84 में राष्ट्रपति अहम, जानिए किसने किया था पुरानी ससंद का उद्घाटन

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नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर छिड़ी सियासी जंग अब संविधान पर हावी हो गई है। नये संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा हो या राष्ट्रपति के हाथों, इसपर भाजपा और कांग्रेस के बीच अब संविधान के अनुच्छेदों को खंगाला जा रहा है। कांग्रेस जहां अनुच्छेद 111 व 60 में राष्ट्रपति के अधिकारों का हवाला दे रही है तो भाजपा अनुच्छेद 79 से पलटवार कर रही है। वहीं, भाजपा की ओर से यह भी कहा गया है कि इससे पहले दो प्रधानमंत्री संसद एनेक्सी का उद्घाटन कर चुके हैं तो पीएम मोदी क्यों नही कर सकते हैं। आईए जानते हैं संसद के उद्घाटन को लेकर क्या कहता है संविधान…

प्रधानमंत्री 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। कांग्रेस समेत 19 दलों की ओर से यह ऐलान किया गया कि वह इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे। जिसमें वहीं इस बीच 6 दलों ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की स्वीकृति दे दी है। उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा करने वाले विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का उद्घाटन द्रौपदी मुर्मू से कराने की मांग की थी। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद भवन का उद्घाटन कराने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है। जबकि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को 19 विपक्षी दलों के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।

संविधान पर भाजाप-कांग्रेस की तू-तू-मैं-मैं

अब इसके बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच संविधान को लेकर सियासी बहस छिड़ गई। विपक्ष के 19 दलों ने उद्घाटन का बहिष्कार करते हुए कहा, ‘इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है और समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखकर अशोभनीय कार्य किया है।’

कांग्रेस ने किया अनुच्छेद 60 व 111 का उल्लेख

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने खरगे के बयान का समर्थन करते हुए संविधान के अनुच्छेद 60 और अनुच्छेद 111 का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति संसद का प्रमुख होता है। थरूर ने कहा, ‘यह काफी विचित्र था कि निर्माण शुरू होने पर पीएम ने भूमि पूजन समारोह और पूजा की, यह उनके लिए पूरी तरह से समझ से बाहर और यकीनन असंवैधानिक है।

उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 60 राष्ट्रपति द्वारा शपथ का उल्लेख करता है। इसके अनुसार, भारत के राष्ट्रपति को शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाएगी और उनकी गैरमौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज द्वारा शपथ दिलाई जाएगी।

भाजपा ने किया अनुच्छेद 79 से पलटवार

कांग्रेस द्वारा अनुच्छेद 111 व 60 की बात आते ही भाजपा ने पलटवार कर दिया। भाजपा की ओर से पुरी ने थरूर को जवाब दिया कि अनुच्छेद 60 और 111 का उस बतंगड़ से कोई संबंध नहीं है जिसे वह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, जबकि पीएम हैं। इसके पलटवार में मनीष तिवारी ने अनुच्छेद 79 (संसद) का उल्लेख करते हुए पुरी पर निशाना साधा।

भाजपा ने क्यों लिया इंदिरा गांधी व राजीव गांधी का नाम

भाजपा ने कांग्रेस को तर्क देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने क्रमशः 24 अक्टूबर, 1975 को पार्लियामेंट एनेक्सी का उद्घाटन किया और 15 अगस्त 1987 को पार्लियामेंट लाइब्रेरी की आधारशिला रखी थी।

किसने किया था पुरानी संसद का उद्घाटन

संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। उस समय इसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था। इसका निर्माण साल 1921 में में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ था। 19 जनवरी को केंद्रीय विधान सभा का तीसरा सत्र इसी सदन में आयोजित किया गया था। ड्यूक ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इस भवन का निर्माण अंग्रेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था। जब देश आजाद हुआ तो ये संसद भवन बन गया। उस दौर में संसद भवन के निर्माण में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे। संसद भवन का डिजाइन उस दौर के मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडविन के लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने साल 1912-13 में तैयार किया था।

संविधान में राष्ट्रपति का अधिकार  

अनुच्छेद 74(1) में राष्ट्रपति पुन: विचार के लिए बोल सकता है

संविधान राष्ट्रपति को कार्यकारी, विधायी, न्यायपालिका, आपातकालीन और सैन्य शक्तियां प्रदान करता है। विधायी शक्तियों में संसद के दोनों सदन, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं। अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि, ‘संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन अर्थात राज्यसभा और लोकसभा शामिल होंगे।’ वहीं, संविधान का अनुच्छेद 74 (1) कहता है, ‘राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के साथ एक मंत्रिपरिषद होगी, जो अपने कार्य सलाह के अनुसार कार्य करेगी। साथ ही इसमें उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से इस तरह की सलाह पर आमतौर पर या अन्यथा फिर से विचार करने के लिए कह सकते हैं और राष्ट्रपति इस तरह के पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेंगे।

अनुच्छेद 87 में राष्ट्रपति विधेयक को देता है हरी झंडी

अनुच्छेद 87 में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति को प्रत्येक संसद सत्र से पहले दोनों सदनों को संबोधित करना चाहिए। राष्ट्रपति की हरी झंडी के बिना दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक अधिनियम नहीं बन सकता। इस प्रकार, संविधान राष्ट्रपति को संसद के कामकाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका देता है।

अनुच्छेद 112 में राष्ट्रपति के पास है ‘निलंबनकारी वीटो’ की शक्ति

वहीं, अनुच्छेद 111 में किसी भी विधेयक में राष्ट्रपति के स्वीकृति का उल्लेख करता है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति या तो विधेयक पर हस्ताक्षर कर सकता है या अपनी स्वीकृति को सुरक्षित रख सकता है। यदि राष्ट्रपति विधेयक पर अपनी सहमति देता है तो विधेयक को संसद के समक्ष पुनर्विचार के लिये प्रस्तुत किया जाएगा और यदि संसद एक बार पुनः इस विधेयक को पारित कर राष्ट्रपति के पास भेजती है तो राष्ट्रपति के पास उस विधेयक को मंज़ूरी देने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। इस तरह राष्ट्रपति के पास ‘निलंबनकारी वीटो’ की शक्ति होती है।

उद्घाटन में नहीं शामिल होंगे ये 19 दल

  1. कांग्रेस
  2. तृणमूल कांग्रेस
  3. द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (DMK)
  4. जनता दल (U)
  5. आम आदमी पार्टी (AAP)
  6. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
  7. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
  8. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
  9. समाजवादी पार्टी
  10. राष्ट्रीय जनता दल
  11. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
  12. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
  13. झारखंड मुक्ति मोर्चा
  14. नेशनल कांफ्रेंस
  15. केरल कांग्रेस (मणि)
  16. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
  17. विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके)
  18. मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके)
  19. राष्ट्रीय लोकदल

उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे ये 6 दल

  1. बीजू जनता दल
  2. बहुजन समाज पार्टी
  3. टीडीपी
  4. वाईएसआर कांग्रेस
  5. एआईडीएमके
  6. अकाली दल

 

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