कर्जमाफी की लिस्ट में नहीं मिला नाम तो रुक गई दिल की धड़कनें

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भारत के कृषिप्रधान देश होने के बावजूद भी किसानों की स्थिति इतनी दयनीय है कि देश के किसान कर्ज के बोझ तले दबकर मर रहे हैं। किसानों की मौत की खबर आये दिन सुर्खियों में रहती है। पर आपको बता दें कि एक ऐसी खबर सामने आई है, जहां एक किसान की मौत कर्जमाफी न मिलने से हो गई। फैजाबाद के रूदौली में कर्जमाफी की लिस्ट में नाम ना आने से किसान को इतना बड़ा सदमा लगा कि उसकी दिल की धड़कनें ही रुक गईं।
लिस्ट में नहीं मिला नाम तो किसान को लगा सदमा
बता दें कि बैंकों द्वारा किसानों की कर्जमाफी के लिए जारी की गई लिस्ट में किसान को अपना नाम न मिलने की वजह से किसान लियाकत को गहरा सदमा पहुंचा। सदमा लगने के कारण किसान के सीने मे तेज दर्द होने लगा।
लियाकत के सीने का दर्द इतना ज्यादा था कि उसकी हालत बिगड़ने लगी। किसान के घरवाले जब तक उसे अस्पताल ले जाते तब तक उसके दिल की धड़कनों ने धड़कना छोड़ दिया और सांसे चलाना बंद हो गईं। डॉक्टर का कहना है कि किसान लियाकत की मौत दिल की गति रूकने से हुई है।
चार लाख रुपये के कर्ज मे था किसान
घरवालों से जानकारी मिली कि इलाके के हरौरा मजरे ऐथर निवासी लियाकत उम्र 45 वर्ष पुत्र छेददन के परिवारवालों ने बताया कि लियाकत ने किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर सेन्ट्रल बैंक रूदौली से दो लाख अस्सी हजार का लोन लिया था और ग्रामीण बैंक आर्यावर्त शुजागंज से एक लाख दस हजार रूपये का किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया था। किसान लियाकत पर लगभग चार लाख रुपये के कर्ज था। जिसे चुकाने के लिये वह बहुत चिंतित और परेशान रहता था।
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किसानों की परेशानियों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की तो किसानों में एक उम्मीद जाग उठी। इसी उम्मीद में किसान लियाकत को भी यह उम्मीद थी कि उसका कर्ज माफ हो जायेगा। जिससे उसकी चिंता काफी कम हुई। लेकिन जब कर्जमाफी के प्रमाण पत्र से उनका नाम गायब रहा तो उससे यह सदमा बर्दाशत नहीं हुआ।
अस्पताल ले जाने से पहले ही किसान की मौत
किसान लियाकत की पत्नी व उनके भाइयों मो. शमीम और मो. हसीब ने बताया कि लियाकत की तबीयत रविवार सुबह तेज सीने में दर्द होने के साथ हालत बिगड़ गई। लेकिन अस्पताल ले जाने से पहले ही उनकी मौत हो गई।
इस सम्बंध में तहसीलदार राम जनम यादव ने कहा कि कर्जमाफी की सूची बैकों ने तैयार करके भेजी गई थी। तहसीलदार प्रशासन ने केवल सूची के आधार पर प्रमाण पत्र बनाया है। तहसीलदार ने खुद को बचाते हुए सही गलत की पूरी जिम्मेदारी बैंकों के सिर डाल दी है।
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