योजनाओं को आधार से लिंक करने की डेडलाइन 31 मार्च- SC
आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ा फैसला आया है। सभी योजनाओं को आधार से लिंक करने की डेडलाइन 31 मार्च करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सर्वोच्च अदालत की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने शुक्रवार को यह अंतरिम आदेश दिया। इसके साथ ही मोबाइल फोन के साथ आधार को लिंक करने की अवधि भी बढ़ा दी गई है।
Also Read: ये सेल्फी कहीं आखिरी न हो !
मोबाइल नंबर को आधार से लिंक की डेडलाइन 31 मार्च
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार के बिना भी बैंक में नया खाता खुलवाया जा सकता है लेकिन आवेदक को इस बात का सबूत देना होगा कि उसने आधार कार्ड के लिए आवेदन दिया है। मोबाइल सेवाओं को आधार से जोड़ने की छह फरवरी की समयसीमा को भी 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। इससे पहले सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने की डेडलाइन बढ़ाकर 31 मार्च 2018 करने के लिए तैयार है। उसने पहले ही दूसरी सर्विसेज के लिए डेडलाइन बढ़ाकर 31 मार्च कर दी है।
Also Read: इंडिया की जेलों में भीड़ और गंदगी, मेडिकल का कोई इंतजाम नहीं :विजय माल्या
देश की सबसे बड़ी अदालत में याचिका दायर
अब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने इस मामले में अंतरिम आदेश दिया है, जो जनवरी में आधार कानून की वैधानिकता पर सुनवाई पूरी होने तक लागू रहेगा। गौरतलब है कि एक अलग मामले में आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। देश की सबसे बड़ी अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि जब आधार कानून की वैधानिकता पर सुनवाई चल रही है, तब सरकार बायोमीट्रिक आईडी की अनिवार्य लिंकिंग की बात कैसे कर सकती है? याचिका में इस पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है। आधार लिंकिंग के खिलाफ मुहिम की अगुवाई करते हुए सीनियर वकील श्याम दीवान ने कहा है कि नए कानून कोर्ट के पहले के आदेश को ओवररूल नहीं कर सकते, जिनमें कहा गया था कि आधार का सिर्फ स्वैच्छिक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए दबाव नहीं डाला जा सकता।
Also Read: एक्टर पीयूष अपराधी साबित हो सकते हैं, बलात्कार की रिपोर्ट आई पॉजिटिव
अटॉर्नी जनरल ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार का इस्तेमाल 6 स्कीम में सिर्फ पहचान के लिए किया जा सकता है। दीवान ने कहा कि उसके बावजूद केंद्र और राज्यों ने सर्कुलर और नोटिस के जरिए कई चीजों के लिए इसे अनिवार्य बना दिया है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नए कानून की वजह से सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश निरस्त हो जाते हैं। उन्होंने दावा किया, ‘अगर एक कानून बनाया जाता है तो वह अपने आप में मुकम्मल होता है।