Dastan-e-Uttar Pradesh: वो साल जब हिस्सों में बंट गया था उत्तर प्रदेश…

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Dastan-e-Uttar Pradesh: 4000 हजार सालों की अच्छी – बुरी यादें समेटे मैं हूं उत्तर प्रदेश …किसी ने खंगाला तो किसी ने पन्नों में दबा दिया, लेकिन जो मेरे अंदर रचा बसा है वो मैं आज कहने जा रहा हूं. शायद यह सही समय है अपने इतिहास के पन्नों को एक बार फिर से पलटने का क्योंकि जिस काल से मेरा अस्तित्व बना एक बार मैं फिर उसी कालक्रम का साक्षी बन पाया हूं.

यह सब शायद आपको समझ न आ रहा हो क्यों कि कभी किसी ने इस इतिहास के पन्नों को पलटा ही नहीं …लेकिन आज मैं अपने अस्तित्व के नौवें पन्ने के साथ आपको उस समय के उत्तर प्रदेश की कथा बताने जा रहा हूं जब देश में आजादी की हवा तो थी, लेकिन अब देश अपनी ही लोगों की गिरफ्त में उतार चढाव के समय का साक्षी बन गया था, यह वो दौर था जब उत्तर प्रदेश को विभाजन का दंभ सहना पड़ा था. ऐसे में आज हम सुनेंगे राज्य के विभाजन की कथा…..

इस साल हुआ था यूपी का गठन

यूपी के विभाजन की कथा जानने से पहले जरूरी है कि, हम यह जाने की उत्तर प्रदेश का गठन किस साल हुआ था और किस साल लखनऊ उसकी राजधानी बनी. आपको बता दें कि, आजादी से पहले 1 अप्रैल 1937 को ब्रिटिश शासन ने यूनाइटेड प्रोविंस नामक राज्य का गठन किया था. यही राज्य भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाने लगा और इसकी राजधानी लखनऊ को बनाया गया. इसके साथ ही इस राज्य को 18 डिवीजन और 75 जिलों में विभाजित किया गया था, यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है और यहां की अर्थव्यवस्था मूल रूप से कृषि पर निर्भर रही.

इस राज्य में 915 शहर और कस्बे हैं, 822 ब्लॉक हैं, साथ ही 17 नगर निगम हैं. 80 लोकसभा सीटें देश की राजनीति में महत्वपूर्ण हैं. विधानसभा में 404 सीटें, विधान परिषद में 100 सीटें और राज्यसभा में 31 सीटें हैं. राजकीय पशु बारहसिंगा और राजकीय पंक्षी क्रौंच या सारस है, तीर कमान और मछली राजकीय चिन्ह है. हिंदी राज्य की राजभाषा है. इसके अलावा लोग भोजपुरी, उर्दू, अवधी और बुंदेली भाषा भी बोलते हैं.

1935 में लखनऊ बनी यूपी की राजधानी

1920 में विधानसभा के पहले चुनाव के बाद 1921 में परिषद का गठन लखनऊ में हुआ है. क्योंकि गवर्नर, मंत्रियों और उनके सचिवों को सिर्फ लखनऊ में रहना था. तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने इलाहाबाद से अपना कार्यालय लखनऊ में स्थानांतरित कर दिया. 1935 तक पूरा कार्यालय लखनऊ में आ गया था, अप्रैल 1937 में लखनऊ को “यूनाइटेड प्रोविंस” नाम दिया गया था, लेकिन 24 जनवरी 1950 में भारत के संविधान के अनुसार इसे “उत्तर प्रदेश” नाम दिया गया.

2000 में हुआ था राज्य का विभाजन

उत्तरांचल (गढ़वाल और कुमाऊँ राज्यों द्वारा बनाया गया) के गठन के तुरन्त बाद कई समस्याएं उत्पन्न हुईं थी. इस क्षेत्र के लोगों ने सोचा कि लखनऊ में बैठी सरकार उनके हितों की देखरेख नहीं कर सकती क्योंकि उनकी बड़ी जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार है. ऐसे में लोगों ने बेरोज़गारी, ग़रीबों, सार्वजनिक सेवाओं और पीने के पानी की आधारभूत सुविधाओं की कमी और क्षेत्र के कम विकास की वजह से एक अलग राज्य की मांग शुरू कर दी थी. हालांकि,यह विरोध शुरू में हल्का था, लेकिन 1990 के दशक में यह तेज हो गया और 2 अक्टूबर 1994 को मुज़फ़्फ़रनगर में आन्दोलन के दौरान एक प्रदर्शन में पुलिस की गोलीबारी में 40 लोग मार गये. अत : नवंबर 2000 में उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग से उत्तरांचल एक नया राज्य बनाया गया. इसमें कुमाऊं और गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्र शामिल थे.

कब बदला गया उत्तरांचल का नाम ?

साल 2000 में उत्तर प्रदेश के विभाजन के पश्चात उत्तरांचल बनाया गया था. इसके साथ ही साल 2000 से 2006 तक के इस राज्य को उत्तरांचल के नाम से जाना गया.लेकिन इसके बाद के साल में उठी राज्य के नाम बदलने की मांग के आगे सरकार ने हारकर साल 2007 में स्थानीय लोगों की मांग को सम्मान करते हुए इस राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर बदलकर उत्तराखंड रख दिया.

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इस राज्य के पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत है. हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से दक्षिण में इसकी सीमा है. यह 2000 से पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, उत्तराखण्ड शब्द का शाब्दिक अर्थ है उत्तरी भूभाग. इस नाम को पहले हिन्दू साहित्य में केदारखण्ड (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखण्ड (वर्तमान कुमांऊँ) के रूप में बताया गया है. हिमालय का मध्य भाग भी एक प्राचीन शब्द था, “उत्तराखण्ड”. उत्तराखण्ड को “देवभूमि” भी कहा जाता है क्योंकि यह पूरा क्षेत्र धर्म और देवताओं की खेलस्थली है और हिन्दू धर्म की उत्पत्ति और महिमाओं का महत्वपूर्ण तथ्य है.

 

 

 

 

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