Dastan-e-Uttar Pradesh: हर जगह चलने लगा था मुस्लिम शासकों का ही शासन

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Dastan-e-Uttar Pradesh: 4000 हजार सालों की अच्छी, बुरी यादें समेटे मैं हूं उत्तर प्रदेश …किसी ने खंगाला तो किसी ने पन्नों में दबा दिया लेकिन जो मेरे अंदर रचा बसा है वो मैं आज कहने जा रहा हूं और शायद यह सही समय है अपने इतिहास के पन्नों को एक बार फिर से पलटने का क्योंकि जिस काल से मेरा अस्तित्व बना एक बार मैं फिर उसी कालक्रम का साक्षी बन पाया हूं.

यह सब शायद आपको समझ न आ रहा हो क्यों कभी किसी ने इस इतिहास के पन्नों को पलटा ही नहीं …लेकिन आज मैं अपने अस्तित्व के चौथे पन्ने के साथ आपको बताने जा रहा हूं. अपने उत्तर प्रदेश की उस मुश्किल समय की कहानी जब हमारे भारत पर मुस्लिम शासकों ने कब्जा कर लिया था. ऐसे दिल्ली के साथ–साथ उनका कब्जा उत्तर प्रदेश में भी हो गया था. ऐसे में आज मैं बताऊंगा मुस्लिम शासन के मध्य के इतिहास की कथा…

देश में मुगल शासकों का पूर्ण रूप से हो गया था वर्चस्व

यह वो समय था जब देश में पूरी तरह से मुस्लिम शासकों का कब्जा हो चुका था. देश के व्यापार, संस्कृति, भाषा और वास्तुकला आदि हर जगह पर अब मुस्लिम शासकों का ही शासन चलने लगा था. हिन्दुस्तान को मुस्लिम परंपरा में रंगने के लिए मुस्लिम शासकों द्वारा विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाएं जा रहे थे.

यह वो दौर था जब पानीपत की पहली लड़ाई के बाद मुगल सम्राट बाबर ने चगताई या गुरकानी तुर्क, उज्बेक, तुर्कमेन और उइघुर सैनिकों और कुलीनों के साथ लोदी वंश को हराया था. इसके बाद सैनिकों और सरदारों को जागीरें प्रदान कर दी गयी और वे अपने परिवारों के साथ उत्तर भारत में आकर बस गए. ये विविध जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई समूह सदियों से उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के साथ विलीन हो गए और दक्षिण एशिया के उर्दू भाषी मुस्लिम समुदाय का निर्माण हुआ.

हूमांयू को हराकर बादशाह सूरी ने संभाली थी उत्तर प्रदेश की राजगद्दी

वहीं 1540 ई.पू. में एक अफगानी बादशाह सूरी ने मुगल राजा हुमांयू को हराकर उत्तर प्रदेश की राज गद्दी पर बैठा था. इस दौरान शेरशाह और उनके पुत्र इस्लाम शाह ने अपनी राजधानी ग्वालियर से उत्तर प्रदेश में शासन किया. वहीं इस्लाम शाह सूरी की मौत के पश्चात प्रधान मंत्री हेमू उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और बंगाल के पश्चिमी हिस्सों का तत्कालीन शासक बन गया. दूसरी ओर दिल्ली के पुराना किला में उनके राज्याभिषेक के समय उन्हें विक्रमादित्य की उपाधि भी दी गयी थी. इसके पश्चात की दूसरी लड़ाई में हेमू की मृत्यु हो गई और उत्तर प्रदेश का साम्राज्य अकबर के हाथों आ गया.

मंदिरों के विनाश के लिए कुख्यात था औरंगजेब

उत्तर प्रदेश की राजगद्दी पर बैठने के बाद आगरा और उसके नवस्थापित शहर फतेहपुर सीकरी में अकबर ने शासन किया. वहीं उनके पश्चात उनका पुत्र जहांगीर राजगद्दी पर बैठा था. जहांगीर के बाद उनके पुत्र शाहजहां ने राजगद्दी संभाली. शाहजहां ने अपने शासन काल में अपनी बेगम रानी मुमताज महल के मकबरे को ताजमहल के तौर पर निर्माण कराया, जो आज भी विश्व के 7 आश्चर्य में गिना जाता है.

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बता दें कि ताजमहल को इंडो – इस्लामिक वास्तुकला के सबसे महत्वपूर्ण उदाहरणों में से एक माना गया है. इन उन महत्वपूर्ण योगदानों के पश्चात अपने वंश के क्रम को जारी रखते हुए शाहजहां के पश्चात उनका पुत्र औरंगजेब शासक बना. औरंगजेब को सबसे हिंसक मुगल शासकों में गिना जाता है. इतिहासकार बताते हैं कि औरंगजेब अपने पूर्वजों की धार्मिक सहिष्णुता को कायम नहीं रख पाया. वह मंदिरों के विनाश के लिए भी काफी कुख्यात रहा. 1707 ई. में औरंगजेब की मौत के बाद के दशकों में मुगल शासन कमजोर पड़ने लगा था या यूं कहे मुगल शासन खत्म के कागार पर पहुंच गया था.

इस कड़ी में कल पढे मुगल शासन के विघटन की कहानी….

 

 

 

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