झारखण्ड के जमशेदपुर में बन रहा देश का पहला महिला मस्जिद, पुरुषों की एंट्री पर रोक… आखिर क्यों हो रहा विरोध ?
झारखंड में भारत की पहली ऐसी मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें केवल महिलाएं प्रवेश करेंगी. जमशेदपुर से सटे कपाली के ताजनगर में इसका काम जोरों पर चल रहा है. मस्जिद का नाम सैय्यदा ज़हरा बीबी फातिमा के नाम पर रखा गया है. इसके इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता नूरजमां ताजनगर में महिलाओं के लिए देश की पहली मस्जिद बनवा रही हैं. वह पहले भी महिलाओं के लिए मदरसा चलाते रहे हैं. जहां 25 से अधिक मुस्लिम महिलाएं दीनी और दुनियावी तालीम हासिल कर रही हैं.
मस्जिद की देखभाल महिलाएं ही करेंगी…
ताजनगरी में महिलाओं के लिए बन रही इस मस्जिद की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं के ही हाथ में होगी. इस मस्जिद में पुरुषों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. डॉ. नूरज़मान के मुताबिक, जब महिलाओं के लिए यह मस्जिद बनाने का फैसला किया गया तो कई लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन मैंने ठान लिया था कि यह काम पूरा होना ही चाहिए.
इस साल के अंत तक काम पूरा हो जायेगा…
‘सैय्यदा ज़हरा बीबी फातिमा’ मस्जिद का काम इसी साल पूरा हो जाएगा. इसमें महिलाओं को धार्मिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूरजमां का कहना है कि मस्जिद के निर्माण से इलाके की महिलाएं खुश हैं. वहीं मस्जिद बनने पर महिलाओं का कहना है कि अब उन्हें घर में कैद होकर इबादत नहीं करनी पड़ेगी. वह भी पुरुषों की तरह मस्जिद में नमाज के लिए जा सकेंगी.
महिलाओं के लिए मस्जिद बनाना ठीक नहीं है…
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेवाली ने जमशेदपुर में बन रही मस्जिद को हनफी मसलक के खिलाफ बताया है. उनका कहना है कि महिला मस्जिद और महिला इमाम बनाना हनफी मसलक के मुताबिक सही नहीं है. उनका कहना है कि पैगंबर इस्लाम के समय में महिलाएं मस्जिद में नमाज पढ़ने जाती थीं, लेकिन तब उनके उत्तराधिकारी खलीफा हजरत उमर फारूक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रतिबंध के पीछे कुछ शिकायतें थीं, खासकर यह डर था कि उपद्रव और दंगे हो सकते हैं.
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