देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन, किसने बनाया है इसे?

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रेलवे इन दिनों खूब चर्चा में है। चर्चा में रहने की वजह ओडिशा में हुआ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसा है. इसमें 280 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई है. इस हादसे के बाद भी रेलगाड़ियों से हर रोज करोड़ों लोग इससे यात्रा करते हैं. दरअसल, रेलगाड़ी यात्रा की सबसे सस्ती और भरोसेमंद सुविधा है. देश में यातायात के प्रमुख साधनों में भारतीय रेलवे का भी नाम आता है. यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे की ओर से 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जो कि 7,000 से अधिक रेलवे स्टेशनों से गुजरती है. वहीं, स्टेशनों पर बेहतर सुविधाओं के लिए लगातार नए बदलावों को जोड़ा जा रहा है. इस कड़ी में भारतीय रेलवे की सूची में देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन भी शामिल हो गया है. क्या आपको भारत के पहले प्राइवेट रेलवे स्टेशन के बारे में पता है, यदि नहीं, तो हम  प्राइवेट रेलवे स्टेशन से जुड़ी कुछ खास बातों को जानेंगे।

कब प्राइवेटाइज हुआ यह स्टेशन

14 जुलाई साल 2016 के दिन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत इंडियन रेलवे ने 1979 में बने हबीबगंज स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रेक्ट किया गया। 5 सालों तक चले इस प्रोजेक्ट के बाद साल 2021 में हबीबगंज स्टेशन बनकर तैयार हो गया।

कौन डेवलप करवा रहा है प्राइवेट स्टेशनों को…

रेल मंत्रालय के दो पीएसयू इरकॉन और आरएलडीए ने मिल कर भारतीय रेलवे स्टेशनों का विकास निगम (आईआरएसडीसी) का गठन किया है. इसी संगठन ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन को रिडेवलपमेंट के लिए दिया है. इस रेलवे स्टेशन को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) फार्मूले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किया गया है। इसे जर्मनी के Heidelberg रेलवे स्टेशन के तर्ज पर विकसित किया गया है।

कौन है इस स्टेशन का डेवलपर…

इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन के रिडेवलपमेंट के लए एक डेवलपर संघका चयन किया है। इस कंसोर्टियम में मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन वर्क्स प्रा. लिमिटेड लीड मेंबर के रूप में शामिल है. इसके साथ ही कंसोर्टियम मेंबर के रूप में मैसर्स प्रकाश डामरीकरण और टोल हाईवे (इंडिया) लिमिटेड शामिल है।

इस कंपनी को दी गई है जिम्मेदारी….

भारतीय रेलवे की ओर इस स्टेशन को विकसित करने के लिए बंसल ग्रुप को जिम्मेदारी दी गई है, जो कि इस स्टेशन को बनाने के साथ 8 सालों तक इसका रखरखाव और संचालन भी करेगी। कंपनी को 45 सालों के लिए स्टेशन को लीज पर दिया गया है।

आठ रेलवे स्टेशनों का रिडेवलपमेंट…

इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन इस समय आठ रेलवे स्टेशनों का रिडेवलपमेंट कर रहा है। इनमें चंडीगढ़, भोपाल के पास हबीबगंज, पुणे के पास शिवाजीनगर, नई दिल्ली के पास बिजवासन, नई दिल्ली के पास ही आनंद विहार, गुजरात का सूरत, पंजाब का एसएएस नगर (मोहाली) और गुजरात का गांधीनगर शामिल है।

स्टेशन पर मिलने वाली सुविधाएं…

प्रावइेट स्टेशनों पर वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन जैसी सुविधा मिलने का दावा किया गया है। इनमें रेस्तरां, शॉपिंग स्टोर, केटरिंग शॉप व पार्किंग शामिल है। इसके अलावा महिला यात्रियों के लिए अलग से कुछ अन्य सुविधाओं का भी जिक्र है। इन स्टेशनों पर नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया गया है। साथ ही इन स्टेशनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भी विशेष व्यवस्था होगी।

4 मिनट में बच सकेगी यात्री की जान…

भारतीय रेलवे ने इसे निजी हाथों में सौंपने से पहले यह शर्त रखी थी. कि स्टेशन को इस तरह से बनाया जाए, किसी भी प्रकार की इमेरजेंसी होने पर स्टेशन से यात्री को 4 मिनट में ही बाहर किया जा सके, जिससे किसी भी प्रकार की आपात स्थिति के समय लोगों की जान सुरक्षित रहे।

हबीबगंज का बदला गया नाम…

बता दें कि रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने के क्रम में साल 2021 में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है.  रानी कमलापति एक गोंड रानी थीं, जिनका विवाह गिन्नोरगढ़ के राजा निजाम शाह के साथ हुआ था. वह निजाम शाह की 7 पत्नियों में से एक थी। ऐसे भी माना जाता है कि वह गोंड समुदाय की अंतिम रानी थी. उनके पति निजाम शाह की उनके भतीजे आलम शाह ने हत्या कर दी थी. जिसके बाद रानी ने दोस्त मोहम्मद खान से अपने भतीजे की हत्या करवाकर अपने पति की हत्या का बदला लिया था।

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