…जब कशमकश में ठंडा रह गया सिंधिया और कमलनाथ का खाना
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आ चुके हैं और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान भी कर दिया गया है लेकिन पार्टी को जीत का स्वाद इतनी आसानी से चखने को नहीं मिला। नतीजे आने के बाद भी मंगलवार को देर रात तक कांग्रेस ऑफिस में सभी की सांसें रुकी रहीं क्योंकि पार्टी के जीते हुए प्रत्याशियों को जीत का सर्टिफिकेट नहीं मिला था।
उधर, अजय सिंह, अरुण यादव और सुरेश पचौरी जैसे पार्टी के सीनियर नेता अपनी सीटें हार रहे थे। पार्टी के एक नेता बताते हैं कि कैसे मंगलवार रात 9 बजे के आसपास कमलनाथ के ऑफिस में जमा नेता कितने निराश हो गए थे। उन्होंने बताया, ‘हमने सोचा कि ये सब क्या हो रहा है।’
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इसका बाद एक-एक विजेता प्रत्याशी से पूछा गया कि उन्हें जीत का सर्टिफिकेट मिला या नहीं। पता चला कि बहुत से लोगों को अभी यह नहीं मिला था। इसी वजह से सीटों की सटीक संख्या सामने आने में वक्त लग रहा था। तब कमलनाथ ने जिला कलेक्टरों से पूछना शुरू किया कि विजयी प्रत्याशियों को सर्टिफिकेट क्यों नहीं मिले।
विजयी प्रत्याशियों को सर्टिफिकेट नहीं दिया गया
पार्टी नेताओं का कहना है कि जब कमलनाथ ने पूछना शुरू किया तो कुछ कलेक्टरों ने अपने फोन बंद कर दिए। एक नेता ने बताया, ‘कमलनाथ ने दमोह के कलेक्टर से कई बार आराम से बात की लेकिन उसके बाद भी हमारे विजयी प्रत्याशियों को सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दमोह के कलेक्टर से कड़ाई से बात की और उन्हें नियम याद दिलाए। राज्य और दिल्ली में फोन कॉल्स करने में जुटे सिंधिया और कमलनाथ का खाना इस दौरान रखे-रखे ठंडा हो गया।
सरकार बनाने का दावा पेश करेगी
तभी करीब रात 1:05 पर बीजेपी राज्य अध्यक्ष राकेश सिंह ने ट्वीट कर दिया कि बीजेपी चार निर्दलीयों से संपर्क में है और वह भी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। इस पर पार्टी दफ्तर का माहौल और ज्यादा टेंस हो गया। आखिरकार रात 2 बजे जब यह कन्फर्म हो गया कि कांग्रेस ने 113 सीटें अपने नाम की हैं, तब जाकर कार्यालय में मुस्कानें देखने को मिलीं। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत निर्दलीयों का समर्थन मिलना भी तय हो गया।
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