त्रिपुरा में कांग्रेस समर्थित बंद से सामान्य जनजीवन प्रभावित
त्रिपुरा(Tripura) से पृथक राज्य की मांग को लेकर यहां की एक जनजातीय पार्टी द्वारा अनिश्चितकालीन सड़क व रेल नाकेबंदी के खिलाफ विपक्षी कांग्रेस के 12 घंटे के बंद से बुधवार को सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर मणिपुर की तरह त्रिपुरा में भी अगले साल के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक और चुनावी लाभ पाने के लिए षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है।
पार्टी ने सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर भी राज्य को ठीक से संचालित करने में विफल रहने का दोषी ठहराया। पुलिस ने कहा कि कांग्रेस के 300 कार्यकर्ताओं को राज्य के विभिन्न हिस्सों में सरकारी कार्यालयों के सामने धरना देने पर गिरफ्तार किया गया है।
हड़ताल की वजह से अधिकांश सरकारी और अर्ध-सरकारी के साथ ही निजी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं। बंद के कारण बैंक और वित्तीय संस्थान भी बंद कर दिए गए हैं, जिसका माकपा और भाजपा ने भी विरोध किया है।
सुरक्षा बलों को छोड़कर सभी वाहन सड़कों से दूर हैं। सुबह से शाम तक होने वाले इस बंद से हालांकि अगरतला से और यहां के लिए उड़ानों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। पुलिस उप महानिरीक्षक अरिंदम नाथ ने मीडिया से कहा, “यह बंद शांतिपूर्वक तरीके से जारी है।”
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त्रिपुरा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बीराजीत सिन्हा ने कहा, “हड़ताल पूरी तरह सफल रही है।”
उन्होंने मीडिया से कहा, “भाजपा मणिपुर और अन्य गैर-राष्ट्रीय जनतांत्रिक दल शासित राज्यों की तरह त्रिपुरा में भी शांति और राजनीतिक स्थिरता को बिगाड़ने की साजिश रच रही है। अन्य राज्यों की तरह भाजपा यहां भी लाभ हासिल करने के लिए राजनैतिक उथल-पुथल में शामिल षड्यंत्रकारियों और दलों को पैसा दे रही है।”
उन्होंने वामपंथी सरकार पर ‘पृथक राज्य की नाजायज मांग कर रहे इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) द्वारा महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग और एक मात्र रेलवे लाइन पर नाकेबांदी से निपटने में असफल रहने का’ आरोप लगाया।
वहीं, भाजपा के उपाध्यक्ष सुबहल भौमिक ने कांग्रेस के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि इस बंद से जनता को भुगतना होगा।
आईपीएफटी द्वारा 10 जुलाई से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 और रेल लाइन पर नाकेबंदी की गई है जिससे लोगों को आवश्यक वस्तुएं, ईंधन, अनाज और बुनियादी जरूरतों की वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं।
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