World Sparrow Day 2024 : गौरैया के सरंक्षण के लिये बनारस में बनाई गई कालोनी
हर वर्ष 20 मार्च को दुनिया गौरैया दिवस के रूप में मनाती है. ऐसे में आज बात करते हैं बनारस के एक एसी संस्था जिसने गौरैया पक्षियों के लिये कालोनी बना रखी है. व्यग्र फाउंडेशन नाम की यह संस्था गौरैया पक्षियों के सरंक्षण के लिये लोगों के बीच जागरुकता फैलाने का काम कर रही है.
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काशी समेत देश भर के लोगों को कर रहे हैं जागरुक
संस्था के संस्थापक अतुल पाण्डेय ने बताया कि संस्था का मुख्य उद्देश्य गौरैया पक्षी के प्रति लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. विलुप्त होने के कगार पर खड़ा यह पक्षी हमारे लिये बहुत उपयोगी है. व्यग्र फाउंडेशन के बारे में बताया कि 9 जून 2018 को इसकी स्थापना काशी में की गयी थी, तब से निरंतर देश के हर हिस्सों में संस्था की आवाज पहुंच रही है. संस्थापक ने बताया कि उनकी इस मुहिम से मंत्री अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान, अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी, अभिनेत्री सनी लियोन आदि जुड़े हैं.
गौरैया कालोनी का भी किया गया है निर्माण
अतुल पाण्डेय ने बताया कि संस्था कि ओर से गौरैया सरंक्षण को ध्यान में रखकर गौरैया कोलोनी का निर्माण किया गया है. इसमें 500 से अधिक संख्या में गौरैया की देखरेख का काम किया जाता है. इस कोलोनी में इन पक्षियों की जरूरत की सारी चीजों का इंतजाम किया गया है. जल, अनाज एवं छांव की व्यवस्था की गयी है. ककुनी नामक अनाज गौरैया काफी चाव से खाती हैं.
उन्होंने बताया कि संस्था के लिए प्रतिदिन गौरैया दिवस है. वहीं संस्था की सोशल मीडिया में मुहिम के कारण गर्मी के मौसम में लोगें के बीच सोशल अवेयरनेस बढ़ी है. मैं भी पक्षी हूं, पक्षियों के लिये पानी की उपलब्धता जैसे पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होते हैं. खासकर युवा वर्ग द्वारा एसे पोस्ट को शेयर किया जाता है.
टिड्डियों की दुश्मन और किसानों की मित्र
अतुल पाण्डेय ने बताया कि इसे हाउस स्पैरो इसलिये भी कहा जाता है क्योंकि यह इंसानों के साथ बड़े आराम से रहते हैं. वहीं किसानों के लिये भी यह पक्षी बेहद ही लाभकारी है. गौरैया किसानों के खेतों को बचाने का काम खतरनाक कीट-पतंगो को खा कर करती है. इससे किसानों को बड़ी राहत मिलती है.
बता दें कि टिड्डी आक्रमण के दौरान भी गौरैया इनके प्रभाव को काफी कम कर देती हैं. गौरैया टिड्डी को खाती हैं जिसके कारण यह पक्षी इनकी संख्या को विशालकाय रूप लेने से रोक देती है.
बच्चों के बीच भी जागरुकता फैलाने का किया जा रहा है काम
उन्होंने बताया कि इस वर्ष का मुख्य उद्देश्य संस्था की ओर से बच्चों को जागरुक करने का है. उन्होंने बताया कि बर्थडे पार्टी में जा कर बच्चों को घोसला भेंट में दिया जाता है व गौरैया सरंक्षण का पाठ पढ़ाया जाता है. उन्होंने बताया कि संस्था के लोग शादी, विवाह, सम्मेलन में जा कर लोगों को घोसले भेंट करते हैं. यहां तक कि शोक समारोह में भी जाकर लोगों को घोसला भेंट स्वरूप दिया जाता है. वहीं कन्या पूजन व दुर्गा पंडाल में भी जाकर संस्था की तरफ से जागरुकता फैलाने व घोसले वितरित किये जाते हैं. उन्होंने बताया कि अभीतक 50,000 से अधिक घोसलों को बांटा जा चुका है.
वर्ष 2010 में दुनिया में मनाया गया था गौरैया दिवस
विश्व गौरैया दिवस को गौरैया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इसके अलावा यह शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने हेतु भी मनाया जाता है. इसे हर साल 20 मार्च के दिन मनाया जाता है. यह नेचर फोरेवर सोसाइटी (भारत) और इको-सिस एक्शन फ़ाउंडेशन (फ्रांस) के मिले जुले प्रयास के कारण मनाया जाता है. पहला विश्व गौरैया दिवस 2010 में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मनाया गया था.