50 करोड़ लोगों की जिंदगी बदलेगा ये विधेयक
देश की लगभग 40 फीसदी आबादी के लिए एक अहम विधेयक मंगलवार को लोक सभा में पेश किया गया। केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने 50 करोड़ कामगारों की जिंदगी में गुणात्मक बदलाव लाने वाले विधेयक को लोकसभा में पेश किया।
वेतन विधेयक, 2019 पर कोड नामक इस विधेयक के जरिए वेतन एवं बोनस और इनसे जुड़े मामलों से संबंधित कानूनों में संशोधन हो सकेगा। इस कोड में न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, वेतन भुगतान अधिनियम 1936, बोनस भुगतान अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के प्रासंगिक प्रावधानों को शामिल किया गया है। वेतन पर कोड लागू होने के बाद ये सभी चार अधिनियम निरस्त हो जाएंगे।
क्या हैं कोड की मुख्य विशेषताएं-
ये कोड सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन और उसके समय पर भुगतान को सुनिश्चित करता है, चाहे वो किसी भी क्षेत्र से हों या फिर उनकी वेतन सीमा कैसी भी हो। इस विधेयक से हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा।
मौजूदा कानूनों से सिर्फ 40 फीसदी कार्यबल न्यूनतम वेतन के दायरे में लाया जा सका है, जबकि नए कोड से 100 फीसदी कामगार इसके दायरे में आ जाएंगे। हर कामगार को न्यूनतम वेतन मिलने से, उसकी क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
इस विधेयक में कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को सुनिश्चित किया गया है। निरीक्षण तंत्र में भी कई परिवर्तन किए गए हैं। इनमें वेब आधारित रेंडम कम्प्यूटरीकृत निरीक्षण योजना, अधिकार क्षेत्र मुक्त निरीक्षण, निरीक्षण के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी मांगना और जुर्मानों का संयोजन आदि शामिल हैं।
नए कोड से क्या होगा?
न्यूनतम वेतन के निर्धारण के लिए एक ही मानदंड बनाया गया है। न्यूनतम वेतन निर्धारण मुख्य रूप से स्थान और कौशल पर आधारित होगा। इससे देश में मौजूदा 2000 न्यूनतम वेतन दरों में कमी होगी, यानी न्यूनतम वेतन की दरों की संख्या कम होगी।
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