ओबीसी-आरक्षण पर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का सीएम योगी ने किया स्वागत

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यूपी: प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने  ओबीसी – मुस्लिम आरक्षण को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. सीएम योगी ने कहा कि भारत का संविधान किसी को भी धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है. इतना ही नहीं योगी ने कहा कि बंगाल की ममता सरकार ने जबरन प्रदेश के 118 मुस्लिम जातियों को OBC में डाल कर आरक्षण दिया था.

विपक्षी गठबंधन पर बोला हमला…

सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इंडी गठबंधन द्वारा देश की कीमत पर राजनीति का खेल जो खेला जा रहा है, उसे खारिज और बेनकाब किया जाना चाहिए. सीएम योगी ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं.

OBC का हक जबरन झड़प रही ममता

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ओबीसी का हक जबरदस्ती हड़प रही थीं. इसी कृत्य के चलते उच्च न्यायालय ने टीएमसी सरकार के फैसले को पलटा है और एक जोरदार तमाचा मारा है. यह कार्य असंवैधानिक था, इसे अनुमति नहीं दी जा सकती है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में इस पर बार बार कहा था.

कोर्ट का आदेश बना नजीर…

सीएम योगी ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश देश के लिए एक नजीर बन गया है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के अंदर भी कांग्रेस सरकार ने ओबीसी के अधिकार पर इसी प्रकार की सेंधमारी करते हुए मुसलमानों को आरक्षण देने का काम किया है. साथ ही आंध्र प्रदेश में भी इसी प्रकार की शरारत की गई थी. इन सबका जोरदार विरोध करना जरूरी है. किसी भी असंवैधानिक कार्य को जो भारत के विभाजन की आधारशिला रखने वाला हो, भारत को कमजोर करने वाला हो उसे कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.

सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के चलते हुए था आरक्षण…

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए और मंडल कमीशन के बाद ओबीसी की सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. धर्म के आधार पर आरक्षण की इजाजत भारत का संविधान कभी नहीं देता. बाबा साहब ने इसके लिए बार बार देश को आगाह किया था कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ था और हमें ऐसी कोई स्थिति नहीं पैदा करना चाहिए जो देश को विभाजन की ओर ले जाए.

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कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश

कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ‘इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए वास्तव में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है.’ जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी. वहीँ, कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल आयोग अधिनियम के तहत पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा ओबीसी की एक नई सूची तैयार की जाए.

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