आस्था व विश्वास के साथ बजाएं ताली-थाली-घंटी, जानिए इसके वैज्ञानिक महत्‍व

सनातन धर्म-संस्कृति में करतल ध्वनि, घंटा ध्वनि, शंख ध्वनि का अपना महत्व है

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जनता कर्फ्यू के दिन यानि 22 मार्च को शाम 5 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताली बजाकर, थाली बजाकर, घंटी बजाकर एक-दूसरे का आभार जताने और इस वायरस से लड़ने के लिए एकजुटता दिखाने का आह्वान किया है। clapping scientific importance

पीएम मोदी की इस अपील को हल्के में कतई न लें। उन्होंने जो कहा और समझाया, उसके मायने सभी को समझ में आए। लेकिन एक बात, जो उन्होंने नहीं समझाई, वह हमने भारतीय संस्कृति और विज्ञान के जानकारों से समझी।

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clapping scientific importance : क्या है इसका महत्व-

दरअसल, सनातन धर्म-संस्कृति में करतल ध्वनि, घंटा ध्वनि, शंख ध्वनि का अपना महत्व है। मंदिर हों या घर, इन ध्वनियों का पूजा पद्धति में विशेष स्थान है। आयुर्वेद में इनके चिकित्सकीय महत्व का वर्णन है।

घंटियां इस तरह से बनाई जाती हैं कि जब वे ध्वनि उत्पन्न करती हैं तो यह हमारे दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से में एक एकता पैदा करती हैं। जिस क्षण हम घंटा-घंटी बजाते हैं, यह एक तेज और स्थायी ध्वनि उत्पन्न करते हें, जो प्रतिध्वनि मोड में न्यूनतम 7 सेकंड तक रहता है।

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