CJI को मिली क्लीन चिट पर विरोध, SC के बाहर धारा 144 लागू
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों से उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने क्लीन चिट देते हुये कहा है कि उसे उनके खिलाफ कोई ‘ठोस आधार’ नहीं मिला। शीर्ष अदालत की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर वकील और महिला एक्टिविस्ट ने प्रदर्शन किया। इसके बाद वहां धारा 144 लगा दी गई है। यह विरोध प्रधान न्यायाधीश को क्लीन चिट दिए जाने के तरीके पर हो रहा है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी ने न्यायालय की आंतरिक समिति द्वारा सोमवार को उन्हें क्लीन चिट दिये जाने पर कहा कि वह ‘बेहद निराश और हताश’ हैं।
SC ने कहा, शिकायत में दम नहीं-
उच्चतम न्यायालय के तीन जजों की एक इंटरनल कमेटी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ मामले की जांच कर रही थी।
न्यायालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि कमेटी ने पाया है कि सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व कर्मचारी द्वारा 19 अप्रैल 2019 को की गई शिकायत में कोई दम नहीं है।
समिति में जस्टिस एस.ए. बोबडे के साथ-साथ दो महिला जस्टिस न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं।
‘खतरे में न्यायपालिका की स्वतंत्रता’-
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी।
रंजन गोगोई ने कहा, ‘इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी, वे सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं। लेकिन न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।’
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