यूपी: 65 साल पुराना कानून बदलने से गोवंश-जीवन हुआ संरक्षित

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उत्तर प्रदेश की लाइफलाइन कही जाने वाली गाय और गंगा का सुरक्षित होना सुखद है। गोवंश को सुरक्षित कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने न सिर्फ गोवंश को संरक्षित करने की मांग करने वालों का सम्मान किया है, बल्कि आम जनमानस के जीवन को भी सुरक्षित किया है।

गोहत्या व गोवंश को शारीरिक नुकसान पहुंचाने पर कठोर सजा

उत्तर प्रदेश सरकार के एक निर्णय ने परंपरा के साथ अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में भी ठोस कदम बढ़ाया है। दरअसल, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उत्तर प्रदेश गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसी के साथ ही यूपी में गोहत्या व गोवंश को शारीरिक नुकसान पहुंचाने पर कठोर सजा वाले प्रावधान लागू हो गए हैं।

गौ-रक्षकों में जगी उम्मीद

2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही गौ-रक्षकों में एक उम्मीद जगी थी। इधर, योगी भी पिछले तीन साल से इसे रफ्तार देने में जुटे थे। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में विपक्ष के इस आरोप को कि ‘सत्ता में बैठे लोग सिर्फ गाय पर राजनीति करते हैं’ को गंभीरता से लिया और पिछले तीन साल में गोवंश को लेकर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से विपक्ष का मुंह बंद कर दिया है।

बता दें कि पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री योगी ने गोकशी, गो संरक्षण, भूसा बैंक, गोसेवा जैसे तमाम मुद्दों पर आधारभूत काम किया है।

प्रदेश के 5,02,395 गोवंश की जियो टैगिंग

मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, योगी सरकार ने अब तक प्रदेश के 5,02,395 गोवंश की जियो टैगिंग कराई है। प्रदेश में 5062 गोसंरक्षण केंद्र-स्थल को संचालित कर 4,96,269 निराश्रित गोवंश संरक्षित किए गए है। यही नहीं गायों के संरक्षण के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने शराब और राज्य के टोल पर 0.5 फीसदी का अतिरिक्त सेस लगाया। सरकार ने बेसहारा गौवंश की समस्या के समाधान के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद में वृहद गौ संरक्षण केंद्र भी बनाया है। यही नहीं सरकार ने गौशालाओं की ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था भी की। सरकार ने सत्ता में आते ही अवैध बूचड़खानों को बंद करने के भी निर्देश दिए थे। प्रदेश में अब तक 3228 भूसा बैंक स्थापित किए गए हैं। वहीं, जनवरी 2020 से अब तक गोकशी में कुल 1324 मुकदमे दर्ज हुए है।

यूपी में गाय की हत्या पर सजा

गौरतलब हो कि इस अध्यादेश के तहत यूपी में गाय की हत्या पर 10 साल तक की सजा और 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा गोवंश के अंग-भंग करने पर 7 साल की जेल और 3 लाख तक जुर्माना देना पड़ेगा। यही नहीं इस अपराध के अभियुक्तों की फोटो पोस्टर सार्वजनिक जगह पर लगाई जा सकेगी। योगी कैबिनेट ने साल 1955 के इस पुराने कानून में संशोधन के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी थी और मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। चूंकि राज्य विधानमंडल का सत्र नहीं ही रहा है, इसलिए उत्तर प्रदेश गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 लाया गया है। छह माह में इसे विधानमंडल से विधेयक के रूप में पास कराना होगा।

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