काशी में गणेश चतुर्थी की धूम…आज विराजेंगे विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता
काशी में करीब एक दर्जन स्थानों पर सार्वजनिक गणेशोत्सव का आरंभ प्रतिमा स्थापना के साथ होता है.
गौरा के लाल प्रथमेश गणेश का उत्सव गणेश चतुर्थी शुरू हो चुका है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है. गणेश चतुर्थी को नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए शुभ माना जाता है. भगवान गणेश को ज्ञान और बुद्धि के देवता माना गया है. वहीं भगवान शिव की काशी में सात सितम्बर यानी आज से यह उत्सव शुरू हो गया है. गणपति चप्पा का दरबार सभी जगह सज चुका है. काशी में करीब एक दर्जन स्थानों पर सार्वजनिक गणेशोत्सव का आरंभ प्रतिमा स्थापना के साथ होता है. इस दौरान कहीं छह तो कहीं सात दिवसीय उत्सव मनाया जाता है.
काशी में गणेश चतुर्थी की तैयारियां
भाद्र शुक्ल चौथ अर्थात वैनायकी गणेश चतुर्थी पर गणेशोत्सव का उत्साह मराठी समाज सहित अन्य वर्गों में भी बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है.
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काशी में उत्सव की तैयारियां कई दिन पहले से हो रही हैं. गणेश जी की छोटी-बड़ी प्रतिमाओं को विभिन्न रंगों से सजाने के साथ ही विग्रहों को पूजन स्थल तक लाने का क्रम लगातार चलते देखा जा रहा है.
सफलता और समृद्धि की कामना
शनिवार को उदयातिथि के अनुरूप चतुर्थी तिथि पर आराध्य का प्राकट्य मनाया जाएगा. वहीं, चतुर्थी पर व्रती महिलाएं संतान के दीर्घायु एवं आरोग्य सुख की मंगलकामना के साथ भगवान का पूजन- अर्चन करेंगी.
इस दौरान लोग अपने घरों, मंदिरों, और इत्यादि जगहों पर भगवान गणेश की मूर्ति और प्रतिमा लाकर बड़े ही धूमधाम के साथ इस पर्व को मानते हैं. कहा जाता है कि भगवान गणेश को अपने घर लाने, उनकी पूजा अर्चना करने से, व्यक्ति को जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है.
काशी में यहां किया जा रहा गणपति का भव्य स्वागत
काशी के प्रथम सार्वजनिक गणेशोत्सव का गौरव रखने वाली ब्रह्माघाट स्थित काशी गणेशोत्सव कमेटी द्वारा प्रातः प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई है.
दूसरी ओर दुर्गाघाट स्थित नूतन बालक गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल में सप्त दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ किया जाएगा.
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इसके साथ ही उठेरी बाजार स्थित शेरावाली कोठी में मुम्बई के सुप्रसिद्ध लालयाग का राजा की प्रतिमूर्ति श्रीगणेश का श्री काशी मराठा गणेश उत्सव समिति के तत्वावधान में विराजमान किया जायेगा.
गणेश चतुर्थी की शुरुआत
यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र व कर्नाटका में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गणेश उत्सव की शुरुआत 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में की थी.
उस समय देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी. ऐसे में तिलक ने गणेश उत्सव के नाम पर लोगों में एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करने के मकसद से गणेश उत्सव मनाते थे.
गणेश चतुर्थी के दिन जन संपूर्ण विधि विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिन के गणेशजी की स्थापना की जाती है. धार्मिक मत है कि भगवान गणेश के दर्शन मात्र से सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं.