सबसे ज्यादा जातिवाद पढ़े लिखे लोगों में : राज्यपाल

महिलाएं जब शिक्षित होंगी तब सभी बुराइयां खत्म होगीं

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उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आइना दिखाते हुए जातिवाद से बाहर निकलने की बात कही. कहा कि सबसे ज्यादे जातिवाद पढ़े लिखे लोगों में व्याप्त है. हमें जातिवाद से बाहर निकलना होगा तभी हम अपने देश को आगे ले जा पाएंगे. पिछले दो वर्षों में जहाँ भी नियुक्ति हुई है उसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई.

जो होनहार होगा जगह अब उसी को मिलेगी. इस विश्वविद्यालय ने भारत को अनेक विद्वान दिये हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई है जिसपर हम सभी को सोचते हुए पुनः इस विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने को सामुहिक प्रयास करना होगा.उन्होंने कहा कि, सभी के संयुक्त प्रयास से ही विश्वविद्यालय ऊँचाइयों को छू पायेगा तथा हम अपनी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम को आगे बढ़ा सकते हैं. राज्‍यपाल शनिवार को वाराणसी में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 41वां दीक्षांत समारोह की अध्‍यक्षता कर रहीं थीं.

उन्‍होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इन छोटे-छोटे बच्चों को संस्कृत विश्वविद्यालय में पढ़ते देख उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई क्योंकि ये बचपन से ही अच्छे संस्कार सीख रहे तभी ये आगे जाकर भारत का भविष्य बनेंगे तथा भारत की उन्नति में अपना योगदान देंगे. उन्होंने संस्कृत में महिलाओं व छात्राओं के द्वारा पीएचडी उपाधि प्राप्त करने पर भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे हमारी ज्ञान परंपरा विश्व में फैलेगी. उन्होंने काशी को न्याय की भूमि बताया. उपाधियां अब डिजिलॉकर में आ गयी हैं जिससे कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है.

महिलाएं शिक्षित होंगी तभी बुराईयां खत्म होगीं

माता पिता को वृद्धाश्रम में न छोडने का लें संकल्‍प उन्होंने कहा कि सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की मदद के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि महिलाएं जब शिक्षित होंगी तब सभी बुराईयां खत्म होगीं. उन्होंने इसके लिए रामायण के कैकयी द्वारा चारों भाइयों को दी गयी शास्त्र शिक्षा का उदाहरण दिया कि मां का आदेश सर्वोपरि होता है.

मां स्वतः रोटी न खाकर अपने बच्चों का पेट पालती है तथा शिक्षा दिलाती है. माता-पिता वृद्धाश्रम में पड़े हैं तो हम शिक्षित कहा से हुए. हम सभी को संकल्पित होना पड़ेगा की हम अपने माता-पिता को बुढ़ापे में वृद्धाश्रम में नहीं छोड़ेंगे.

” गुलामी की मानसिकता से आना होगा बाहर ”- राज्यपाल

नयी शिक्षा नीति में वेदों के विकास हेतु 100 करोड़ का प्रावधान राज्‍यपाल ने कहा कि, भारत को महाशक्ति बनाने में हमें सभी क्षेत्रों में अपने को आगे बढ़ाना होगा. हम विकास करते हुए अपनी विरासत को संरक्षित कर रहे. अगले 25 वर्ष भारत को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें युवाओं को अपना योगदान देना होगा. उन्होंने महर्षि भारद्वाज के द्वारा प्राचीन समय में किए गए अविष्कारों को सामने रखते हुए भारत की प्राचीन जानकारी को सभी के समक्ष रखते हुए भारत की प्राचीनतम उपलब्धियां को बताया.

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने नयी शिक्षा नीति में वेदों के विकास हेतु 100 करोड़ का प्रावधान किया है जिसका हम सभी को प्रोजेक्ट बनाकर फायदा लेना चाहिए. उन्होंने अन्त में प्रधानमंत्री के पांच प्रण को दोहराया जिसमें आत्मनिर्भर भारत, गुलामी की मानसिकता से निकलना, देश की विरासत को सुदृढ़ करना, भारत की एकता बनाए रखने तथा देश को आगे बढ़ाने में अपनी उपयोगिता देना.

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राज्यपाल ने विद्यार्थियों को किया सम्मानित

कार्यक्रम की शुरुआत में राज्यपाल विश्वविद्यालय की ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र तथा डिजिलॉकर व्यवस्था का बटन दबाकर उद्घाटन किया गया. अब विश्वविद्यालय की डिग्रियों को ऑनलाइन डिजिलॉकर के माध्यम से भी डाउनलोड किया जा सकता है. राज्यपाल द्वारा अभिनव प्रकाश, नितिन कुमार, संध्या पटेल, पवन कुमार पांडेय, अंकुर, विवेकानंद त्रिपाठी, नीतेश, अंकिता मिश्रा, अनुराग शुक्ला, सुदर्शन ठाकुर समेत कुल 33 विद्यार्थियों को 59 स्वर्ण पदक प्रदान किया गया.

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा द्वारा समारोह में आये अतिथियों का अभिवादन करते हुए स्वागत भाषण दिया गया तथा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को अतिथियों के समक्ष रखा गया.

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