कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विभिन्न ई कॉमर्स कंपनियों पर आरोप लगाए हैं। कैट के अनुसार ये कंपनियां अपनी हठ के चलते उपभोक्ता संरक्षण (ई कॉमर्स) कानून, 2020, लीगल मैट्रोलोजी (पैकेज्ड कमोडिटी) कानून, 2011 तथा फूड सेफ्टी स्टैंडर्डस अथॉरिटी के दिशा निर्देशों का खुले आम उल्लंघन कर रही हैं।
कैट ने इस बावत केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भी लिखा है। कैट के अनुसार उपरोक्त कानूनों में कहा गया है कि ई कॉमर्स पोर्टल पर अनिवार्य रूप से विक्रेता एवं वस्तु से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी को स्पष्ट रूप से प्रत्येक उत्पाद के साथ लिखना अनिवार्य है।
कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग-
कैट ने इस मसले पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को रविवार को एक पत्र भेजा है। जिसमें विभिन्न ई कॉमर्स कंपनियों पर कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और इन कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री को भेजे गए पत्र में कहा है कि भारत में अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी सहित अन्य ई कॉमर्स कंपनियां खुलेआम देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। वहीं किसी भी सरकारी विभाग ने आज तक इनका संज्ञान नहीं लिया। इन कंपनियों के हौंसले मजबूत हो रहे हैं, जिसके चलते भारत का ई-कॉमर्स व्यापार भिंडी बाजार बन गया है।
क्या है प्रावधान ?-
लीगल मैट्रोलोजी कानून, 2011 के नियम 10 में यह प्रावधान है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने पोर्टल पर बिकने वाले प्रत्येक उत्पाद पर निर्माता का नाम और पता, मूल देश का नाम, वस्तु का नाम, शुद्ध मात्रा, किस तिथि से पहले उपयोग (यदि लागू हो), अधिकतम खुदरा मूल्य, वस्तु का साइज आदि लिखना अनिवार्य है।
यह नियम 2017 में लागू किया गया था और नियम की पालना के लिए 6 महीने की अवधि दी गई थी, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी इन नियमों का अब तक पालन नहीं हो रहा।
उन्होंने कहा, उनकी जानकारी के अनुसार किसी भी ई-कॉमर्स इकाई ने उपरोक्त प्रावधानों का अनुपालन करते हुए एक नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया है।
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