उपचुनाव परिणाम 2018: लेफ्ट-कांग्रेस ने दिलाई दीदी को जीत, जानिए कैसे
नवापाड़ा सीट पर 2016 के विधानसभा चुनावों में मिली हार का बदला तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उपचुनावों में ले लिया है। 2016 के विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक हजार वोट से ये सीट टीएमसी के खाते में आते-आते रह गई थी। लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने 79 हजार वोट लेकर इस सीट पर कब्जा जमा लिया था। लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन टूटने का सीधा-सीधा फायदा ममता बनर्जी को मिला है।
63 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कराई है
नवापाड़ा विधानसभा में एक हजार वोट से मिली हार से सबक लेते हुए उपचुनावों के दौरान ममता बनर्जी ने कई नई चाल चली थीं। चुनावों के दौरान पुरोहितों का सम्मेलन बुलाना। पुरोहितों को गाय देने का वादा करना ममता की नई चाल का ही एक हिस्सा था। दूसरी ओर कांग्रेस-लेफ्ट के टूटे गठबंधन का भी ममता ने जमकर फायदा उठाया। लेफ्ट के कई दिग्गजों को अपने पाले में मिला लिया। ये ही वजह है कि नवापाड़ा की जो सीट लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने 79 हजार वोट लेकर जीती थी, उसी सीट को ममता बनर्जी ने 111729 वोट हासिल कर 63 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कराई है।
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वोट नम्बर ही नहीं और भी कई मायनों में ये एक बड़ी जीत मानी जा रही है।टीएमसी की आंधी में बामुश्किल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दूसरे स्थान को सीपीआईएम से झटकने में कामयाब हुई है। उपचुनाव में बीजेपी को 38711 वोट मिले हैं, जबकि सीपीआईएम को 35497 वोट मिले हैं। इन सबके बीच गठबंधन के साथ अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस चौथे स्थान पर खिसक गई है। कांग्रेस को 10527 वोट पर ही संतोष करना पड़ा है।
मधुसूदन घोष की मृत्यु होने के कारण यहां उपचुनाव हो रहे हैं…
नवपाड़ा विधानसभा में टीएमसी ने सुनील सिंह, सीपीएम ने गार्गी चटर्जी, कांग्रेस ने गौतम बोस और बीजेपी ने संदीप बनर्जी को मैदान में उतारा था। बेशक 2016 के चुनावों में सीपीआईएम-कांग्रेस गठबंध ने इस सीट पर जीत दर्ज कराई थी, लेकिन उपचुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार संदीप बनर्जी को बीजेपी पदाधिकारी मुकुल रॉय के चलते एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था। आपको बता दें कि विधायक मधुसूदन घोष की मृत्यु होने के कारण यहां उपचुनाव हो रहे हैं।
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