15 जुलाई 1926 का दिन हमारे देश खासतौर पर मुम्बई के लिए ऐतिहासिक है. इसी दिन मुंबई शहर में बस सेवा की शुरुआत हुई थी. इस शहर की ही नहीं बल्कि यह देश की पहली बस अफगान चर्च से क्रॉफर्ड मार्केट तक चलायी गयी थी. इसे बृहनमुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट ने शुरू किया था. जिसकी सेवा आज भी निरंतर जारी है. आज इसके पास अत्याधुनिक बसों का काफिला है. सैकड़ों रूट पर हजारों बसें हर रोज लाखों पैसेंजर्स को उनके मंजिल तक पहुंचा रही हैं. मुम्बई में बस सेवा का सफर काफी लम्बा था. जो डेढ़ सौ सालों में घोड़ा गाड़ी से इलेक्ट्रिक बसों तक पहुंचा है. आइए आपको ले चलते हैं अतीत में और बताते हैं मुम्बई में सार्वजनिक सेवा की शुरुआत कैसे हुई और रूबरू कराते हैं वर्तमान हालात से…
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घोड़ों से चलाया गया ट्राम
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1865 में बंबई (वर्तमान मुम्बई) के लिए एक परिवन तंत्र के निर्माण का प्रस्ताव लाया गया. इसके लिए सबसे पहला प्रस्ताव एक अमेरिकी कंपनी की ओर से आया. उसने घोड़ों के द्वारा खींचे जाने वाले ट्राम सिस्टम के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. वर्ष 1873 के बाद बॉम्बे ट्रामवे कंपनी लिमिटेड ने घोड़ों वाले ट्राम को बंबई में चलाया. 9 मई 1874 को पहली घोड़े के द्वारा खींची गई ट्राम मुंबई में चली. जो क्रॉफोर्ड मार्केट से होते हुए कोलाबा से बेडहोन और कोबादेवी से होते हुए बोरी बंदर से पेडहोनी तक चली. बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रामवे कंपनी लिमिटेड के गठन के बाद 1905 में इलेक्ट्रिक ट्राम की शुरुआत हुई .
वक्त के साथ बदलता गया नाम
15 जुलाई 1926 को मुंबई के लोगों को पहली बार बस दौड़ती देखी गई थी. इसे संचालित करने वाली बृहनमुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट का नाम 1995 से पहले तक बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट था. एक जनपरिवहन और विद्युत उत्पादन निकाय को मूल रूप से 1873 में एक ट्रामवे कंपनी के तौर पर बॉम्बे ट्रामवे लिमिटिड नाम से स्थापित किया गया था. इस कंपनी ने नवंबर 1905 में वादी बंदर में एक कैप्टिव थर्मल पॉवर स्टेशन स्थापित किया था. साल 1926 में बेस्ट मोटर बस का ऑपरेटर बन सका. 1947 में बेस्ट नगर निगम का निकाय बना और उसने अपना नाम बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट रख लिया और वह बेस्ट नाम से मशहूर हो गई. 1995 में बंबई का नाम मुंबई करने के साथ इसे पुनर्गठित किया गया और बृहनमुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट नाम दिया गया है जिससे वह बेस्ट ही कहलाती रहे. आज बेस्ट मुबई महानगरपालिका निगम के अंतर्गत एक स्वतंत्र निकाय है.
बस संचालन का विरोध भी हुआ
मुम्बई के लोगों ने बेस्ट बस सेवा का बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया था. लेकिन एक तबका ऐसा भी था जो नहीं चाहता था कि बसों का संचालन शहर में शुरू हो. वो थे टैक्सी ड्राइवर, जिन्होंने जमकर विरोध किया. हालांकि इसका खास असर नहीं हुआ. बेस्ट बसों ने पहले ही साल एक लाख पैसेंजर्स को मंजिल तक पहुंचाया. अगले साल यह संख्या 35 लाख से ऊपर हो गयी. सरकार और बीएमसी की अपील पर कंपनी ने 1934 को उत्तरी हिस्से में अपनी सेवा का विस्तार किया. डबल डेकर को 1937 में इस्तेमाल में लाया गया.
- हर रोज लाखों लोग करते हैं बस का सफर
- 50 लाख लोग वर्तमान में हर रोज करते हैं बेस्ट बसों में सफर
- 38, 000 कर्मचारी करते हैं बेस्ट में काम
- 22,000 ड्राइवर और कंडक्टर हैं तैनात
- 3800 बसों का संचालन करता है बेस्ट
- 2400 सीएनजी बसें हैं मौजूद
- 1000 एसी मिनी बसों में भी लोग करते हैं सफपर
- 120 डबल डेकर बसे हैं बेस्ट के पास
- 100 इलेक्ट्रीक बसों का भी होता है संचालन
- 443 रूट पर दौड़ती है बसें
रंग देते हैं बसों की जानकारी
मुम्बई और आसपास के इलाके में दौड़ने वाली बेस्ट की बसें चटख लाल रंग की होती हैं जिन पर अंग्रेजी और मराठी में बेस्ट लिखा होता है. लेकिन इन नजर आने वाली रंगीन पट्टी बस के बारे में जानकारी देती है. जैसे पीली और हरी पट्टी वाली बसें सीएनजी से चलती हैं. ग्रे पट्टी वाली डीजल हैं लेकिन यह हटायी जा रही हैं. सफेद पट्टी की भी डीजल संचालित हैं लेकिन एडवांस हैं हांलाकि कुछ वर्षों में हटा दी जाएंगी. सिल्वर स्ट्राइप की बसें इलेक्ट्रिक से चलती हैं. ब्लैक, यलो ग्रीन स्ट्राइप बताता है एसी सीएजी बस को नान एसी सीएनजी में बदला गया है. बेस्ट की कुछ बसें बिल्कुल अलग रंगों की होती हैं. इनके भी मायने हैं जैसे ग्रे सेफ्टी बसें हैं, यलो और ब्लैक हाइब्रीड बसें और यलो और पिंक महिलाओं के लिए तेजस्वनी बसें हैं.
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