‘जुगाड़’ के बाद भी खाली होगा मायावती का बंगला !
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली कराए जाने के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हों या मायावती, किसी के लिए ऐसा करना आसान नहीं होने वाला है। अखिलेश यादव ने जहां थोड़े समय की मांग की है वहीं मायावती(Mayawati) ने एक अलग ‘जुगाड़’ लगाया है। सोमवार को मायावती(Mayawati) के सरकारी आवास के बाहर कांशीराम यादगार विश्राम स्थल का बोर्ड लगवा दिया गया। इसके बाद सवाल उठे कि क्या इस तरह वह बंगला खाली करने से बच जाएंगी।
बंगले पर लगाया विश्राम स्थल का बोर्ड
बीएसपी प्रमुख मायावती ने भले सरकारी बंगले पर ‘कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल’ का बोर्ड लगवा दिया हो, लेकिन सरकार इसे भी खाली करवाने के मूड में है। हालांकि, बीएसपी की ओर से यादगार विश्राम स्थल के लिए इस आवास को आवंटित करने संबंधी कोई आवेदन नहीं किया गया है। राज्य सम्पत्ति विभाग ने अगस्त 2016 में ही कांशीराम यादगार विश्राम स्थल के नाम से आवंटित इस आवास का आधा हिस्सा ट्रस्ट के नाम आवंटित करने से मना कर दिया था। इसके बाद यह पूरा बंगला (13 ‘ए ’माल एवेन्यू) पूर्व सीएम के तौर पर मायावती को आवंटित कर दिया गया था।
कब्जा रहे बरकरार
पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अपने लिए नए निजी मकान का इंतजाम कर लिया है, लेकिन सरकारी बंगले पर भी कब्जा बरकरार रखना चाहती हैं। इसके लिए वह खुद भी यह तर्क देती रही हैं कि उनका आवास कांशीराम जी का विश्राम स्थल भी है। इसके बड़े हिस्से में कांशीराम का संग्रहालय है और दीवारों पर मूर्तियां लगी हुई हैं। वह इसके एक छोटे से हिस्से में ही रहती हैं। मायावती की कोशिश है कि छोड़ना भी पड़े तो कुछ कमरे खाली कर देंगी, लेकिन कांशीराम के नाम पर आवास पर कब्जा बरकरार रहे।
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बंगले से जोड़ा था विश्राम स्थल
बता दें कि जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तो उनके बंगले के पास ही कांशीराम विश्राम स्थल हुआ करता था। बाद में कांशीराम विश्राम स्थल को कथित रूप से उन्होंने अपने बंगले से जोड़ लिया। इसके पीछे वजह यह थी कि उस वक्त कांशीराम विश्राम स्थल का मासिक किराया करीब 72 हजार रुपये था, वहीं मायावती के बंगले का मासिक किराया 4212 रुपये।
15 दिन का मिला है समय
आप जानते होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली करवाने का आदेश दिया है। इसके बाद राज्य के संपत्ति विभाग ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को 15 दिन में सरकारी आवास खाली करने का नोटिस थमा दिया।