नोटबंदी: BJP ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया ऐतिहासिक, राहुल गांधी और चिदंबरम पर साधा निशाना

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने सोमवार को नोटबंदी के खिलाफ दायर की गई सभी 58 याचिकाओं को खारिज कर केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया. कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया. वहीं, भाजपा ने कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया. इस मामले पर भाजपा ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर निशाना साधा.

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने दावे से कहा कि साल 2016 में की गई नोटबंदी आतंकी फंडिंग पर रोक लगाकर आतंकवाद को सबसे बड़ा झटका साबित हुई. इसने आयकर को बढ़ावा दिया और अर्थव्यवस्था की सफाई की. उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है और राष्ट्रहित में है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रहित में लिए गए फैसले को सही ठहराया है. क्या राहुल गांधी अब नोटबंदी के खिलाफ अपने अभियान के लिए माफी मांगेंगे? उन्होंने विदेशों में भी इसके खिलाफ बात की.

पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए रविशंकर ने कहा कि वे अभद्र और निंदनीय बयान देकर सुप्रीम कोर्ट में बहुमत के फैसले की अनदेखी कर रहे हैं. असहमति जताने वाले जज ने भी कहा है कि नीति सुविचारित थी. भारत डिजिटल भुगतान के मामले में वर्ल्ड लीडर बन गया है. विमुद्रीकरण के बाद इसे बढ़ावा मिला है. देश ने अकेले इस साल (2022) अक्टूबर में 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के 730 करोड़ से अधिक डिजिटल लेन देन दर्ज किए हैं.

बता दें 8 नवंबर, 2016 की रात 08:00 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान करते हुए 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था. केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद देशभर के बैंकों, एटीएम पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई दिखी थीं. नोटबंदी के फैसले को मुद्दा बनाते हुए विपक्ष ने केंद्र सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाए थे. विपक्ष का कहना था कि ये एक तरह का घोटाला है. इसके खिलाफ कोर्ट में 58 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हुईं थीं. इन पर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 7 दिसंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था.

 

BJP Supreme Court Demonetisation Rahul Gandhi P Chidambaram

 

सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 5 जजों की बेंच ने कहा ‘आर्थिक नीति के मामलों में बहुत संयम बरतना होगा और अदालत अपने फैसले की न्यायिक समीक्षा द्वारा कार्यपालिका की जगह नहीं ले सकती है.’ इस बेंच में जस्टिस एस अब्दुल नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल रहे.

 

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