…जब जेल में अमित शाह ने खाई थी कांग्रेस को खत्म करने की कसम

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं। अपने शानदार चुनावी प्रदर्शन से वो बीजेपी के अब तक से सबसे सफल अध्यक्ष बन चुके हैं। हाल ही में बिहार में बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार की सरकार बनी और इसके बाद फिर अपनी रणनीतियों को लेकर शाह चर्चा में हैं। शाह को बीजेपी गुजरात से राज्यसभा भी भेज रही है, हो सकता है आने वाले दिनों में वो मोदी सरकार में कोई अहम जिम्मेदारी भी निभाएं। हम आपको बता रहे हैं अमित शाह की जिंदगी से जुड़ी अहम बातें..

नरेंद्र मोदी एक- दूसरे को पिछले 25 सालों से जानते हैं

.अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के एक बिजनेसमैन परिवार में हुआ था। अमित शाह का पूरा नाम अमित अनिलचंद्र शाह है। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई मेहसाणा से की। इसके बाद बायोकेमिस्ट्री से ग्रैजुएशन करने के लिए वो अहमदाबाद चले गए। उनके पिता का पाइप का बिजनेस था जिसे कुछ समय अमित साह ने संभाला। इसके अलावा उन्होंने को-ऑपरेटिव बैंक में स्कॉकब्रोकर के तौर पर भी काम किया है। अमित शाह के बचपन से आरएसएस के साथ संबंध रहे हैं और इसी के चलते उन्हें राजनीति में एंट्री मिली। कॉलेज के दिनों में ही वो आरएसएस के स्वयंसेवक बन गए थे। अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक- दूसरे को पिछले 25 सालों से जानते हैं।

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पहली बार दोनों की मुलाकात साल 1982 में अहमदाबाद में हुई थी। उस समय मोदी आरएसएस प्रचारक हुआ करते थे। अमित शाह ने अपना राजनीतिक करियर आरएसएस के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तौर पर साल 1983 में शुरू किया था। इसके बाद साल 1986 में उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली। इसके बाद साल 1987 में वो बीजेपी यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक्टिविस्ट बन गए। इसके बाद उन्हें वॉर्ड सेक्रेटरी, तालुका सेक्रेटरी, स्टेट सेक्रेटरी, वाइस प्रेजिडेंट और जनरल सेक्रेटरी जैसे पद संभाले।

सोहराबुद्दीन एंकाउंटर को कांग्रेस ने फर्जी बताया था

इसके बाद साल 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में उन्होंने लाल कृष्ण अडवाणी के लिए गांधीनगर में कैंपेन चलाया। साल 1995 में बीजेपी ने पहली बार केशुभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में सरकार बनाई, उस समय बीजेपी की विपक्षी पार्टी कांग्रेस हुआ करती थी। मोदी और अमित शाह ने पिछड़े इलाकों में कांग्रेस को हराने के लिए साथ काम किया। बताया जाता है कि दोनों की रणनीति थी कि हर गांव में दूसरा सबसे प्रभावशाली नेता ढूंढे और उन्हें बीजेपी में शामिल करें, इस तरह दोनों ने मिलकर 8000 लोगों का बड़ा नेटवर्क तैयार किया। इस तरह अमित शाह लगातार राजनीति में आगे ही बढ़ते रहे। इसी दौरान उन पर गुजरात दंगों में शामिल रहने के भी आरोप लगे और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनकी वेबसाइट पर भी इसका जिक्र है जिसमें लिखा है कि नरेंद्र मोदी का करीबी होने की वजह से कांग्रेस ने उन्हें निशाना बनाया। अमित शाह के गृह मंत्री रहते हुए सोहराबुद्दीन एंकाउंटर को कांग्रेस ने फर्जी बताया था।

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सोहराबुद्दीन एंकाउंटर में नाम आने के बाद 25 जुलाई 2010 में अमित शाह को 90 दिन के लिए जेल जाना पड़ा था। इसके बाद वो जमानत पर बाहर आए और उन्हें अपने राज्य में घुसने पर 2 साल तक रोक लगी। साल 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। साल 2016 में एक वेबसाइट की खबर आई जिसके मुताबिक जेल में रहते हुए अमित शाह कैदियों को जेल में भगवद गीता के श्लोक सुनाते थे। इसके साथ ही जेल में उन्होंने कांग्रेस के खात्मे की प्रतिज्ञा ली थी। हाल ही में बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आया जिसमें कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू का महागठबंधन खत्म हो गया और बीजेपी के समर्थन वाली नीतीश सरकार बन गई। अब तक 29 में से 18 राज्यों में बीजेपी और उसके समर्थन वाली सरकार है जबकि कांग्रेस केवल 6 राज्यों तक सिमट कर रह गई है।

(साभार- आजतक)

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