यूपी: भाजपा मंत्री राकेश सचान को एक साल की कैद और 1500 रुपया जुर्माना, मगर नहीं जाएंगे जेल
यूपी की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को कानपुर की एक अदालत ने अवैध असलहा रखने के मामले में एक साल की कैद के साथ 1500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. हालांकि, राकेश सचान जेल नहीं जाएंगे क्योंकि, पहले से ही अदालत में उनकी बेल एप्लिकेशन भी लगी थी, जिसके आधार पर अदालत ने बांड पर उन्हें जमानत भी दे दी है. रिहाई के बाद राकेश सचान ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन अदालत के फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील करेंगे.
Uttar Pradesh | Kanpur court sentences 1-year of jail along with Rs 1500 fine to UP cabinet minister Rakesh Sachan in Arms Act case. Further, he has been given bail; to appeal in the Sessions court
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— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 8, 2022
कानपुर शहर के नौबस्ता में 13 अगस्त, 1991 को तत्कालीन एसओ बृजमोहन उदेनिया ने राकेश सचान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसमें आरोप था कि उनके पास से राइफल बरामद हुई है, जिसका लाइसेंस वह नहीं दिखा सके. इसी मामले में शनिवार को अदालत ने अभियुक्त राकेश सचान को दोषी करार दिया था. सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अदालत को सजा सुनानी थी. राकेश सचान को दोषी करार दिए जाने की सूचना पर वकीलों और समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया था.
इस दौरान अभियुक्त राकेश सचान अदालत से आदेश की प्रति लेकर ही चले गए थे. अभियुक्त राकेश सचा द्वारा आदेश की प्रति ले जाने से अदालत में हलचल मच गई थी. फिर देर शाम एसीएमएम तृतीय की रीडर ने राकेश सचान के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी थी. सजा से बचने का कोई रास्ता नजर न आने और एक नए मुकदमे की तलवार लटकने की जानकारी होने के बाद राकेश सचान ने अदालत में सरेंडर करने का मन बनाया, जोकि रविवार को अवकाश के चलते नहीं हो सका. इसके बाद सोमवार को उन्होंने अदालत में सरेंडर कर दिया.
सोमवार को अदालत में सजा पर सुनवाई पूरी हो गई. राकेश सचान के वकील ने सामाजिक व राजनीतिक जीवन का हवाला देते हुए कम से कम सजा देने की मांग की. वहीं, अभियोजन की ओर से अधिकतम सजा का तर्क रखा गया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने एक साल कैद और 1500 रुपया जुर्माना की सजा सुनाई. जमानत देने पर उन्हें अपील के लिए रिहा कर दिया गया.
जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल से अधिक की सजा सुनाए जाने के बाद राकेश सचान की विधायकी खतरे में पड़ सकती थी. ऐसे में उनकी विधायकी भी बच गई और चुनाव लड़ने का अधिकार भी सुरक्षित हो गया.