दलित के घर का खाना खा के बुरे फंसे अहलुवालिया
दलित के घर खाना खाने के मामले में एक और भाजपा मंत्री सवालों के घेरे में आ गए हैं। दरअसल भाजपा के केंन्द्रीय राज्य मंत्री एसएस अहलुवालिया दलित के घर खाना खाने पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने दलित के घर का बना खाना खाने की बजाय बाहर का खाना खाया।
खाना बाहर से बनाकर मंगवाया गया था
हालंकि अहलुवालिया ने इन आरोपों से इंकार किया है। दलितों के घर भोजन करने के लिए बीजेपी नेताओं में इन दिनों होड़ सी मची है। इसी कतार में बेगूसराय में केंद्रीय राज्य मंत्री एसएस अहलुवालिया ने एक दलित के घर खाना तो खाया, लेकिन इसके बाद वे विवादों में आ गए। मंत्री अहलुवालिया पर आरोप लगा है कि उनके लिए खाना बाहर से बनाकर मंगवाया गया था। हालांकि इस मुद्दे पर सवाल होने पर पर मंत्री अहलुवालिया भड़क उठे। साथ ही मंत्री ने बाहर से खाना मंगाकर खाने से इनकार किया। इन दिनों बीजीपी नेताओं का दलितों के घर जाकर भोजन का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
दलित के घर सब्जी चावल दाल पापड़ का जायका लिया
पहले केशव प्रसाद मौर्य, सुरेश राणा और योगी आदित्यनाथ और बाद में एस एस अहलुवालिया ने दलित के घर खाना खाया। अभी तक दायरा उत्तर प्रदेश तक सिमटा था। अब बिहार के बेगूसराय से भी दलित के घर भोजन की खबर आई है, जहां केंद्रीय मंत्री एस एस अहलुवालिया ने एक दलित के घर सब्जी चावल दाल पापड़ का जायका लिया। हालांकि यहां भी विवाद तब पैदा हुआ जब ये पता चला कि खाना दलित ने नहीं बल्कि एक हलवाई ने बनाया था।
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महंगा चावल, हाई क्वॉलिटी दाल और सब्जियां बाहर से बनकर आई सिर्फ आंगन और घर दलित का था। आसपास खाना खा रहे लोग पिछड़ी जाति के थे। आपको बता दें कि इससे पहले भी बीजेपी नेता द्वारा दलित के घर खाना खाने से विवाद हो गया था। पिछले दिनों ही यूपी सरकार के मंत्री सुरेश राणा द्वारा एक दलित के घर में रात्रि भोज पर जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था, जहां आरोप लगे थे कि मंत्री अपनी तरफ से भोजन और पानी लेकर वहां पहुंचे थे।
भगवान राम नहीं हैं कि दलितों के साथ भोजन करेंगे
वहीं दलितों के घर भोजन करने के फैसले की बीजेपी के कुछ नेता भी आलोचना कर रहे हैं। बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने इसे दिखावा और बहुजन समाज का ‘अपमान‘ करार दिया है। सावित्री ने कहा कि बात तो तब हो जब दलित के हाथ का बनाया हुआ खाना खाएं और खुद उसके बर्तनों को धोएं। वहीं उमा भारती ने कहा था कि हम भगवान राम नहीं हैं कि दलितों के साथ भोजन करेंगे, तो वो पवित्र हो जाएंगे। जब दलित हमारे घर आकर साथ बैठकर भोजन करेंगे, तब हम पवित्र हो पाएंगे। दलित को जब मैं अपने घर अपने हाथों से खाना परोसूंगी तब मेरा घर धन्य हो जाएगा।
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