सिर्फ शराब तस्करी ही नहीं जमीन के गोरखधंधे में भी लिप्त हैं भाजपा के धुरंधर !
बात-बात में चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भाजपार्टी जब बेनकाब हुई तो इतना वीभत्सव रूप सामने आया
बात-बात में चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी जब बेनकाब हुई तो इतना वीभत्सव रूप सामने आया, जिसे देखने के बाद हर कोई हैरान है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में, उनकी ही पार्टी के आला नेता शराब तस्करी जैसे धंधे में शामिल है तो ताज्जुब होना लाजमी है। शराब तस्करी में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के बाद जब जिला महामंत्री का नाम सामने आया तो बहुत कुछ, कहने-सुनने को नहीं बच गया है। इस घटना के बाद स्थानीय बीजेपी संगठन में फैली गंदगी की परत दर परत खुलने लगी है। जानकार बता रहे हैं कि सिर्फ शराब तस्करी ही नहीं जमीन के गोरखधंधे में भी संगठन के कई पदाधिकारी और स्थानीय नेता शामिल हैं।
किरकिरी होने के बाद जिला महामंत्री को किया ‘आउट’-
शराब तस्करी के मास्टर माइंड संजय गुप्ता की पैरवी करना जिला महामंत्री उमेशदत्त पाठक को भारी पड़ गया। रविवार को जब चौबेपुर पुलिस ने भाजयुमो के जिलाध्यक्ष संजय गुप्ता के भाई को शराब तस्करी में गिरफ्तार किया तो उमेशदत्त पाठक पूरे लाव लश्कर के साथ चौबेपुर थाने पहुंच गए थे। उन्होंने आरोपियों की पैरवी में पूरी ताकत लगा दी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जब पुलिस अधिकारियों ने बात नहीं मानी तो उमेशदत्त सत्ता का रौब गांठने लगे। उन्होंने एक केंद्रीय मंत्री तक को फोन मिला दिया। इस मामले में किरकिरी होने के बाद पार्टी ने उन्हें पड़ से हटा दिया है।
मंत्रियों की सरपरस्ती में चल रहा गोरखधंधा !-
सूत्रों के अनुसार शराब कांड तो एक बानगी मात्र है। पार्टी के कई नेता और पदाधिकारी सत्ता संरक्षण का भरपूर फायदा उठा रहे है। इन नेताओं और पदाधिकारियों के निशाने पर विवादित जमीनें रहती हैं। शहर के बाहरी इलाकों में अपने गुर्गों की बदौलत विवादित जमीनों की पहले ‘पंचायत’ होती है और फिर कब्जे का खेल होता है। इस बात की शिकायत बीजेपी आलाकमान तक लगातार पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि जमीन के धंधेबाजों को प्रदेश के कुछ मंत्रियों की सरपरस्ती हासिल है। मंत्री के करीबी होने के चलते स्थानीय प्रशासन भी आरोपियों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
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