गरीबी बनीं थी पढ़ाई में रोड़ा, आज हैं 60 करोड़ की कंपनी के मालिक

0

आज हम आपको ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जो गरीबी के कारण पढ़ नहीं पाया, लेकिन अपनी मेहन और काबिलियत के दम पर करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया। ये कहानी है राजा नायक की। जो कर्नाटक के कॉमर्स और उद्योग के दलित इंडियन चैम्बर के प्रेसीडेंट हैं।

राजा का जन्म और पालन-पोषण एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। उन्हें गंभीर तंगी की वजह से स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। पैसों की कमी की वजह उनके माता-पिता के लिए राजा और उनके चार भाई-बहनों को स्कूल भेजना बहुत ही मुश्किल था। आखिर सत्रह वर्ष की उम्र में अपनी इस सजा जैसी जिंदगी से दूर जाने के लिए राजा घर से भाग निकले। अपने परिवार की मदद करने के उद्देश्य से नौकरी की तलाश में मुम्बई चले गए। लेकिन मुंबई जैसी शहर में किसी अनजान लोगों के लिए जीवन-यापन भी आसान काम नहीं था और उन्हें वापस लौटना पड़ा।

शर्ट्स खरीदकर बेचना शुरू किया

कुछ दिनों तक घर पर रहने से राजा को लगने लगा कि जीवन-यापन के लिए जल्द ही कुछ काम शुरू करना आवश्यक है। इन्होंने तिरुप्पुर से एक्सपोर्ट-सरप्लस शर्ट्स खरीदकर बेचना शुरू किया। इससे इन्होंने 5000 रुपये का मुनाफा कमाया। बहुत सारे उतार चढ़ाव के बाद उन्होंने 1998 में एक छोटा सा लॉजिस्टिक्स का बिज़नेस शुरू किया। आज उनकी MCS लोजिस्टिक्स कंपनी इंटरनेशनल शिपिंग में डील कर रही है।

Also read : कभी मजदूरी करने वाला, आज हैं 7000 करोड़ की कंपनी के मालिक

ब्यूटी सैलून की चेन और स्पा का शुभारम्भ

उनके कुछ दूसरे बिज़नेस भी है; जैसे जल बेवरेजेज का है जो पीने का पानी पैकेजिंग करती है। उन्होंने ब्यूटी सैलून की चेन और स्पा का शुभारम्भ किया है जिसका ब्रांड का नाम पर्पल हेज़ है। आज उनके बिज़नेस का वार्षिक टर्न-ओवर 60 करोड़ का है।

“कलानिकेतन एजुकेशनल सोसाइटी”

इन सबके अलावा राजा ने एक एनजीओ भी शुरू किया है, जिसका नाम “कलानिकेतन एजुकेशनल सोसाइटी” है जिसके अन्तर्गत दलित और गरीब बच्चों के लिए बहुत सारे स्कूल और कॉलेज चलाये जाते हैं। उनके द्वारा किये गए कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत उन्हें कर्नाटक के कॉमर्स और इंडस्ट्रीज के दलित इंडियन चैम्बर का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके द्वारा जो पढने में अच्छे दलित बच्चे हैं उन्हें दो साल मुफ्त में आवासीय शिक्षा दी जाती है।

नई पीढ़ी को कर रहे हैं प्रेरित

एक समय था जब दलितों को आरक्षण के बावजूद पिछड़े होने की चिंता होती थी, पर राजा जैसे लोगों ने दलित वर्ग की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया है और उन्हें ऊपर उठाने में सहयोग दिया है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More