ISRO को बड़ी सफलता ! 21वीं सदी का पुष्पक विमान सफलतापूर्ण लॉन्च…

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ISRO: भारत का 21वीं सदी का विमान पुष्पक आज सुबह कर्नाटक में रनवे पर सफलतापूर्वक उतर गया. दरअसल, पुष्पक एक “स्वदेशी अंतरिक्ष शटल” है. इसकी लैंडिंग एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुई है. परीक्षण के दौरान वायु सेना के हेलीकॉप्टर से रॉकेट को उतारा गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने इस सफलता पर कहा कि परिणाम “उत्कृष्ट और सटीक” थे.

इसको लेकर अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि, “पुष्पक (आरएलवी-टीडी), विंग व्हीकल, रनवे पर सटीकता के साथ उतरा. मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले आरएलवी के दृष्टिकोण और उच्च गति लैंडिंग स्थितियों का सफलतापूर्वक अनुकरण किया. पुष्पक को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर द्वारा उठाया गया था और इसे 4.5 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया था. रनवे से 4 किमी की दूरी पर रिलीज होने के बाद पुष्पक स्वायत्त रूप से क्रॉस रेंज सुधार के साथ रनवे पर पहुंचा.”

कैसे चला मिशन ?

इस मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि, ”आरएलवी को फैलाव के साथ अधिक कठिन युद्धाभ्यास करने, क्रॉस-रेंज और डाउनरेंज दोनों को सही करने और पूरी तरह से स्वायत्त मोड में रनवे पर उतरने के लिए बनाया गया था. पुष्पक नाम के पंखों वाले वाहन को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर द्वारा उठाया गया और 4.5 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया. रनवे से 4 किमी की दूरी पर रिलीज होने के बाद पुष्पक स्वायत्त रूप से क्रॉस-रेंज सुधारों के साथ रनवे पर पहुंचा. वाहन रनवे पर ठीक से उतरने में कामयाब रहा. वह अपने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम का उपयोग करके रुका. इस मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले आरएलवी के दृष्टिकोण और उच्च गति लैंडिंग स्थितियों का सफलतापूर्वक अनुकरण किया.”

इसके आगे एजेंसी ने कहा है कि, “इस दूसरे मिशन के साथ इसरो ने अंतरिक्ष-लौटने वाले वाहन की उच्च गति स्वायत्त लैंडिंग करने के लिए आवश्यक नेविगेशन, नियंत्रण प्रणाली, लैंडिंग गियर और मंदी प्रणाली के क्षेत्रों में स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकियों को फिर से मान्य किया है. पंखों वाला शरीर और सभी इसरो ने अपने बयान में कहा, “आरएलवी-एलईएक्स-01 में इस्तेमाल की गई उड़ान प्रणालियों को उचित प्रमाणीकरण/मंजूरी के बाद आरएलवी-एलईएक्स-02 मिशन में पुन: उपयोग किया गया”.

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VSSC के निदेशक ने कही ये बात

वीएसएससी के निदेशक डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि, ”इस सफल मिशन से इसरो पूरी तरह से स्वायत्त मोड में टर्मिनल चरण पैंतरेबाज़ी, लैंडिंग और ऊर्जा प्रबंधन में महारत हासिल कर सकेगा, जो भविष्य के कक्षीय पुनः प्रवेश मिशनों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. VSSC ने लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) और इसरो इनर्शियल सिस्टम यूनिट (IISU) के साथ मिलकर मिशन को पूरा किया. इसरो ने बताया कि IAF, ADE, ADRDE और CEMILAC सहित कई एजेंसियों ने मिलकर मिशन को सफल बनाया. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस सफलता पर टीम को धन्यवाद दिया.”

 

 

 

 

 

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