फिरोज खान की नियुक्ति के विरोध में अब BHU के शिक्षक, राष्ट्रपति को लिखा पत्र
बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय में फिरोज खान की नियुक्ति के विरोध में छात्रों ने धरना भले ही खत्म कर दिया हो लेकिन विवाद का दौर अभी जारी है।
छात्रों के बाद अब संकाय के दो प्रोफेसरों ने विरोध का स्वर बुलंद किया।
प्रोफेसरों ने फिरोज खान की नियुक्ति के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लेटर लिखा है।
इस पत्र में फिरोज खान की नियुक्ति को बीएचयू के एक्ट के खिलाफ बताया गया है।
क्या है दोनों प्रोफेसरों का आरोप ?-
प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी व प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने समूचे प्रकरण पर नाराजगी जताई।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को तीन पेज का पत्र लिखा है।
दोनों प्रोफेसर संकाय में करीब 50 वर्षों से सेवारत हैं।
विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष के पदों को भी सुशोभित कर चुके हैं।
पत्र में स्पष्ट है कि धार्मिक अध्ययन का प्रावधान बीएचयू के एक्ट 1951 एवं संसद की ओर से संशोधित अधिनियम-1951 द्वारा संरक्षित एवं मूल भावना के अनुरूप स्वतंत्रता के बाद से आज तक चला आ रहा है।
इसमें संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के द्वारा प्रदत्त धार्मिक शिक्षा केवल भारतीय मत-पंथों के विद्यार्थियों को नित्य आचार निष्ठ होकर पारंपरिक पद्धति शास्त्रीय एवं आचार्य बनने के लिए उपाधि प्रदान की जाती है।
क्या है नियुक्ति को लेकर तर्क ?-
इसी बीएचयू अधिनियम-1915 एवं संशोधित अधिनियम 1951 के आधार पर यह परंपरा सौ से अधिक वर्षों से चल रही है।
यहां केवल हिंदू, सनानत मतों, बौद्ध, जैन सिख ही अध्ययन-अध्यापन में सम्मिलित हो सकते है।
दोनों एमेरिट्स प्रोफेसरों का कहना है कि इस संकाय के धार्मिक साहित्य विभाग में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति धर्म शिक्षा की भावनाओं और काशी विद्वत परंपरा एवं विवि के एक्ट और परंपरा दोनों के विरुद्ध है।
प्रोफेसर द्वय ने राष्ट्रपति से विवि की गरिमा की रक्षा एवं इस समस्या से मुक्ति दिलाने का अनुरोध किया है।
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