सीएए के खिलाफ बीएचयू के छात्र ने डिग्री लेने से किया इंकार, साथियों पर दर्ज केस हटाने की मांग
वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 101 वें दीक्षांत समारोह में एक छात्र ने अपनी डिग्री लेने से इंकार कर दिया। छात्र का आरोप था कि सीएए और एनआरसी कानून का विरोध करने पर उसके साथियों पर कई दर्ज किये गए हैं। साथ ही सभी को पुलिस ने जेल में डाल दिया है। विरोध करने वाले रजत एमए हिस्ट्री ऑफ आर्ट के छात्र हैं।
क्या है रजत का आरोप?
रजत सिंह ने डिग्री लेने से इनकार करते हुए कहा कि हम ऐसे सभी सांप्रदायिक कानून का विरोध करते है जो विघटनकारी है। बीते 19 और 20 दिसंबर को बीएचयू और शभर के अन्य हिस्सों में सीएए-एनआरसी कानून का विरोध हुआ था। इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से 69 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था,जिसमें कुछ बीएचयू के छात्र भी शामिल हैं। रजत का आरोप है कि बीएचयू में प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नहीं हुई थी। बावजूद इसके पुलिस ने बीएचयू के छात्रों को डराने के लिए फर्जी मुकदमें लगाए हैं। गिरफ्तार हुए छात्रों को भी इस दीक्षांत में शामिल होना था और उन्हें भी डिग्री लेनी थी लेकिन वह जेल में हैं। ऐसा लग रहा है कि इन छात्रों से विश्वविद्यालय प्रशासन को कोई मतलब नहीं है।
छात्रों ने किया प्रदर्शन
सिर्फ रजत ही नहीं कला संकाय के कई अन्य छात्रों ने भी कार्यक्रमस्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों के हाथों में उन प्रदर्शनकारी छात्रों की फ़ोटो थी, जिनके ऊपर मुकदमे दर्ज किये गए हैं। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
गोल्ड मेडल विजेता छात्रा रबीहा को हुए दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोका गया
पांडिचेरी विश्वविद्यालय की गोल्ड मेडल विजेता छात्रा रबीहा अब्दुरहीम का आरोप है कि उसे सोमवार को हुए दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोका गया, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे. केरल की निवासी रबीहा ने मास कम्युनिकेशन से मास्टर डिग्री पूरी की, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में गोल्ड मेडल लेने से इनकार कर दिया.