बीएचयूः एमएस को हटाने और सुपरस्पेशिलिटी ब्लॉक की चौथी मंजिल की माग पर अड़े प्रो. ओमशंकर
आमरण अनशन के आठवें दिन छात्रों ने दिया समर्थन
बीएचयू आईएमएस के हृदय रोग विभाग में मरीजों को आवंटित बेड पर भर्ती न करने, एमएस को हटाने आदि की मांग को लेकर प्रो. ओमशंकर का आमरण अनशन आठवें दिन शनिवार को भी जारी रहा. इस दौरान बीएचयू के शिक्षकों, सामाजिक संस्थाओं के लोगों के साथ छात्रों ने अनशन स्थल पर पहुंचकर उन्हें समर्थन दिया. इस दौरान बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल की इमरजेंसी के डॉक्टरों की टीम ने उनके सेहत की जांच की. अनशन के दौरान दिव्यांग कलाकार अभय ने मिमिक्री के जरिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मरीजों की समस्याओं का समाधान करवाने की मांग की.
Also Read: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, हामिद अंसारी और मनोहर जोशी ने घर से किया मतदान
गौरतलब है कि हृदय रोग विभाग के मरीजों की सुविधा और भ्रष्टाचार के खिलाफ वह काफी समय से लड़ते आ रहे हैं. लेकिन लगातार उनकी बातें नही सुनी गईं. कोरोना काल के दौरान से यह मामला और तेज हो गया और अब यह लड़ाई आमरण अनशन में तब्दील हो चुकी है. उधर, मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को कुलपति आवास पर बैठक में अधिकारियों ने प्रोफेसर ओमशंकर की मांगों पर चर्चा की. कहा जा रहा है कि 61 बेड दिए जाने पर सहमति बनी. लेकिन प्रो. ओमशंकर का कहना है कि जब तक सुपरस्पेशिलिटी ब्लॉक की चौथी मंजिल हृदय रोग विभाग को नहीं दी जाती और एमएस को हटाया नहीं जाता अनशन जारी रहेगा.
निर्णय लेने में इतना बिलम्ब क्यों
देश के जाने माने शिक्षण संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को शिक्षा की राजधानी कहा जाता है. लेकिन इस मामले ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अच्छी चिकित्सा व्यवस्था के लिए हमें और कितना इंतजार करना पड़ेगा. बीएचयू चिकित्सा विभाग के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ और विभागाध्यक्ष प्रो. ओम शंकर अब आर या पार की लड़ाई के मूड में आ चुके हैं. उनका कहना है कि बढ़ते हृदय रोगियों को देखते हुए विभाग में अतिरिक्त बेड आवंटित वाले सुझाव दिए गए थे तो अब तक निर्णय क्यों नहीं लिया गया.
कमेटी के सुझाव पर नही हुआ अमल
विश्वविद्यालय की कमेटी ने 8 मार्च 2024 को 50 बेड तत्काल आवंटित करने का सुझाव दिया था. इसके बाद भी अनेक बार सूचित किया गया, अन्य अतिरिक्त व्यवस्थाओं को लेकर विचार विमर्श हुआ लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया. जबकि चिकित्सा संस्थान में वाराणसी ही नहीं आसपास के जनपद सहित बिहार से भी बड़ी संख्या में रोगी इलाज के लिए आते हैं. उन्होंने भोजन तक त्याग दिया है और उनका वजन घटता जा रहा है. जबकि बीएचयू प्रशासन आरोप को बेबुनियाद बता रहा है.